छात्र-छात्रओं की संख्या के लिहाज से समायोजन, जिले के मनचाहे स्कूल में तैनाती और
पसंदीदा जिले में जाने की शिक्षकों की ख्वाहिश गुजरते शैक्षिक सत्र में पूरी नहीं
हो सकी है। 2017-18 की शुरुआत से लेकर अंत तक हजारों परिषदीय शिक्षक तबादला आदेश
की राह देखते रह गए। तबादला नीति में नियमों का ऐसा पेंच फंसा कि शिक्षक उसे मानने
को तैयार न थे और सरकारी हुक्मरान उससे पीछे हटने को राजी न हुए। दो तरह के
तबादलों पर पूर्ण विराम लग चुका है, अंतर
जिला तबादले की प्रक्रिया जरूर चल रही है लेकिन, वह भी अंजाम पहुंचेगी यह भी स्पष्ट नहीं है। 1योगी सरकार ने सत्ता
में आने के चंद माह बाद ही 13 जून 2017 को बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षकों के
तबादले की नीति जारी की। इसमें चरणबद्ध तरीके से समायोजन व स्थानांतरण करने के
आदेश हुए। पहले जिले में छात्र संख्या के हिसाब से समायोजन, फिर जिले के अंदर और अंत में रिक्त
पदों पर अंतर जिला तबादले होने थे। इसमें अफसरों ने 30 अप्रैल की छात्र संख्या के
हिसाब से समायोजन करने का निर्देश दिया।
यहीं से विवाद शुरू हुआ, क्योंकि शिक्षक 31 जुलाई की छात्र
संख्या के आधार पर समायोजन चाहते थे। प्रकरण कोर्ट में पहुंचा तो स्थगनादेश जारी
हुआ। इससे समायोजन व जिले के अंदर तबादले की प्रक्रिया रुक गई, जो अब तक बहाल नहीं हो सकी है। छह माह
बाद दिसंबर में परिषद ने अंतर जिला तबादला करने का निर्देश जारी किया व ऑनलाइन
आवेदन मांगे। पहले चरण के आवेदन पूरे हुए थे कि शिक्षिकाओं ने कोर्ट से पांच वर्ष
की सेवा से छूट की मांग की। कोर्ट ने उस पर मुहर लगाई और फिर आवेदन लिए गए। अब
गंभीर रोग से पीड़ित पुरुष शिक्षक व अविवाहित शिक्षिकाएं भी कोर्ट की शरण में हैं।
1तय नियम बदलने से खफा अफसर अंतर जिला तबादला प्रक्रिया धीमी गति से आगे बढ़ा रहे
हैं। जिन 36 हजार से अधिक शिक्षकों ने ऑनलाइन आवेदन किए, उनके गुणवत्ता अंक वेबसाइट पर
सार्वजनिक किए गए हैं और उनसे आपत्तियां मांगी गई हैं। यह प्रक्रिया आठ अप्रैल तक
चलेगी। अफसरों की कार्यशैली से अब तक स्पष्ट नहीं है कि अंतर जिला तबादलों में
आदेश होंगे या नहीं। कोई अफसर इस मामले में बोलने को तैयार नहीं है।