वैश्विक आधार पर एक दिन सभी लोगों को एक करने के द्वारा इसके एहतियाति कदम सहित इसके उपचार और इस महामारी के बारे में वास्तविक संदेश को फैलाने के साथ ही कैंसर के खिलाफ लड़ने के लिये रणनीति बनाने की ओर सरकारी और गैर-सरकारी स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र, डबल्युएचओ के द्वारा सभी प्रयासों को याद करने के लिये पूरे विश्व में 4 फरवरी को हर साल विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। इसे कुछ नयी रणनीतियों की योजना के साथ ही कुछ नये कार्यक्रमों को लागू करने के लिये मनाया जाता है जो इस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरुक करने में मदद करता है। ये कार्यक्रम वार्षिक आधर पर कैंसर के खिलाफ लड़ाई में शामिल केन्द्रीय अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण (यूआईसीसी) और दूसरे प्रमुख स्वास्थ्य संगठन की देखरेख में आयोजित किया जाता है।
विश्व कैंसर
दिवस का इतिहास
यूआईसीसी
(केन्द्रीय अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण) के नियंत्रण में और विभिन्न दूसरे
प्रसिद्ध कैंसर समाजों, शोध संस्थानों, उपचार केन्द्रों और मरीजों के समूह
की सहायता के साथ 1933 में स्वीट्ज़रलैण्ड के जेनेवा में
विश्व कैंसर दिवस को मनाने की योजना की शुरुआत हुई थी। इस घातक बीमारी को
नियंत्रित करने और लड़ने के लिये सभी जरुरतों को पूरा करने के लिये विश्व कैंसर
दिवस के कार्यक्रम स्थापना हुई थी।
एक रिपोर्ट
के अनुसार ये ध्यान देने योग्य है कि 12.7 मिलीयन से अधिक लोगों की कैंसर की पहचान
की गयी साथ ही हर वर्ष 7 मिलीयन लोग इस बीमारी से मरते हैं।
इस संक्रामक बीमारी के खतरे से बचाने और इसके एहतियातन कदम का अनुसरण करने,
लोगों को इसके लक्षणों की जाँच करने के लिये निर्देश देना साथ ही
साथ कैंसर से लाखों जीवन बचाने के लिये इस दिन के वार्षिक उत्सव को मनाने की योजना
की शुरुआत की गयी। 4 फरवरी की स्थापना खासतौर से सही खान-पान
के बारे में उन्हें सिखाने, नियमित और उचित शारीरिक
क्रियाकलाप के लिये और एक सीख कि कैसे कैंसरकारी तत्व या परिस्थिति से बचाव किया
जाए आदि कैंसर के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाने के लिये की गयी है।
विश्व कैंसर
दिवस कैसे मनाया जाता है
कैंसर से
बचाव और इसके रोकथाम के बारे में खास संदेश फैलाने के लिये प्रमुख स्वास्थ्य संगठन
के साथ ही गैर-सरकारी संगठन कैंप आयोजित करके, जागरुकता कार्यक्रम, रैली,
भाषण, सेमिनार आदि के द्वारा भाग लेते है।
विभिन्न नियंत्रित उपाय नीति लागू की गयी है तथा बड़ी संख्या में इससे जुड़ने के
लिये लोगों को बढ़ावा दिया जाता है।
उत्सव को
मनाने के दौरान भाग लेने के लिये इस दिन को मनाने से पहले कई तरीकों के द्वारा
आमजनों, स्वास्थ्य
संगठनों और दूसरे गैर-सरकारी संगठनों को बढ़ावा और निवेदन किया जाता है। आम नागरिक
इस कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य होते है जिनके लिये ये संदेश फैलाया और बाँटा जाता
है जिससे कैंसर को नियंत्रित किया जा सके। तदनुसार यूआईसीसी के द्वारा बेहतर
सहायता के लिये एक उपकरण साजो-सामान जिसके पास साँचा, सूचना
पत्रक, और निर्देश होता है, विभिन्न
संगठनों के लिये उपलब्ध कराया जाता है।
लोगों के बीच
इस कार्यक्रम को और परिणाम केन्द्रीत बनाने के लिये एक खास थीम के इस्तेमाल के
द्वारा हर वर्ष इसे मनाया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रति वर्ष
विभिन्न प्रकार के कैंसर और मृत्यु दर के लिहाज से कलेजे के कैंसर/6,10,000,
फेफड़ा के कैंसर/1.3 मिलीयन, कोलोरेक्टल के कैंसर/6,39,000, पेट का कैंसर/8,03,000,
स्तन कैंसर/5,19,000 आदि के लोग (मध्यम और
निम्न आय) शामिल हैं।
उत्सव को
मनाने के दौरान, कैंसर होने के
कारण के खतरों के बारे उनको बताने के लिये लोगों को लक्षित किया जाता है जैसे
तंबाकू का इस्तेमाल, अत्यधिक वजन, कम
सब्जी और फल खाना, कम या बिल्कुल भी शारीरिक क्रियाएँ नहीं
करना, शराब का इस्तेमाल, एचपीवी
संक्रमण, शहरी क्षेत्रों के वायु प्रदूषण, घर के अंदर धुम्रपान, अनुवांशिक खतरा, अत्यधिक धूप में रहना आदि। ह्यूमन पेपिलोमा वायरस और हेपेटाईटिस बी के
अलावा टीकाकरण के तरीकों के बारे में भी लोगों को जागरुक किया जाता हैं।
विश्व कैंसर
दिवस क्यों मनाया जाता है
इसके पूर्व
पहचान या रोकथाम के लिये कैंसर से बचाव के उपाय और खतरों के बारे में आम लोगों को
जागरुक करने के लिये विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। सामान्यत: कैंसर से पीड़ित
व्यक्ति को आम लोगों द्वारा समाज में घृणा और अस्पृश्य के रुप में समझा जाता है।
आम लोगों में कैंसर से संबंधित विभिन्न प्रकार के सामाजिक मिथक है जैसे कि कैंसर
पीड़ित के साथ रहने या स्पर्श से उन्हें भी ये घातक बीमारी हो सकती है। इस तरह के
मिथक को खत्म करने के लिये भी ये दिन मनाया जाता है। इसके होने के कारण, लक्षण और उपचार
आदि जैसे कैंसर की सभी वास्तविकता के बारे में सामान्य जागरुकता बनाने के लिये इसे
मनाया जाता है।
लोगों को
दिखाने के लिये इस दिन पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं कि
कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को अलग से उपचारित न किया जाये, उन्हें समाज में
एक आम इंसान की तरह जीने का अधिकार होना चाहिये और कोई भी रिश्ता उनके लिये बदलना
नहीं चाहिये। अपने रिश्तेदारों के द्वारा उनकी हर इच्छाओं को पूरा करना चाहिये भले
ही उनके जीने की उम्मीद कम क्यों न हों। ये बहुत जरुरी है कि उन्हें एक आम इंसान
की तरह अच्छा महसूस कराना चाहिये और ऐसा प्रतीत नहीं कराना चाहिये जैसे उनको कुछ
उपचार दिया जा रहा है क्योंकि वो मरने वाले हैं। उन्हें आत्म-सम्मान को महसूस करने
की जरुरत है और अपने समाज और घर में एक सामान्य वातावरण की जरुरत है।
आम व्यक्ति
को कैंसर पीड़ितों से अत्यधिक सहानूभुति या अपनी असफलता की कहानियों को बाँटने से
बचना चाहिये क्योंकि ये उनके दर्द और डर उनके लिये असहनीय बन सकता है। उनकी यात्रा
को आसान और खुशहाल बनाने या कैंसर को हराने के लिये तथा उनका मनोबल बढ़ाने, ऊर्जावान महसूस
कराने और आत्म विश्वास देने के लिये उन्हें कुछ सकारात्मक कहानियाँ सुनानी चाहिये।
आँकड़ों के
अनुसार, ये ध्यान देने
योग्य है कि ज्यादातर कैंसर के मामले और मौंते (47% और 55%
क्रमश:) विश्व के कम विकसित क्षेत्रों में होते हैं। अगर ये
नियंत्रित नहीं किया गया, तो 2030 तक
ये और खतरनाक स्तर पर पहुँच सकती है। इसलिये ये बहुत जरुरी है कि इसे दुनिया के हर
कोने में नियंत्रित किया जाये।
कैंसर की
उपस्थिति के खतरे को घटाने के लिये अपनी अच्छी जीवनशैली, नियंत्रित आहार,
नियमित शारीरिक क्रियाकलाप और भार प्रबंधन के बारे में इस कार्यक्रम
के दौरान लोगों को अच्छे से बढ़ावा दिया जाता है। उन्हें अपने शराब की लत, अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक स्थिरता से मुक्त कराने के लिये बढ़ावा दिया
जाता है।
कैंसर के
बारे में आम मिथक और तथ्य
आम लोगों के
बीच में कैंसर के बारे में यहाँ नीचे कुछ आम मिथक और तथ्य दिये गये हैं जिसको
हटाना बहुत जरुरी है तथा इसके ऊपर नियंत्रण पाने के लिये इसकी वास्तविकता को अच्छे
से समझना होगा।
• आमतौर पर लोग ये सोचते हैं कि कैंसर के ऊत्तक केवल स्वास्थ्य का मसला होता
है जबकि ऐसा नहीं होता।
• सामान्य लोग समझते हैं कि कैंसर धनवान और उम्रदराज़ लोगों की बीमारी है
जबकि ये एक वैश्विक और संक्रामक रोग है जो सभी उम्र के लोगों को हो सकता है।
• आमजन को लगता है कि कैंसर से पीड़ित होना मतलब ये एक सजा के समान है लेकिन
अब ज्यादातर कैंसर उपचार योग्य है।
• आम लोगों को लगता है कि कैंसर उनकी किस्मत में था जबकि 30% मामलों में इसे पूरे जीवन भर के लिये ठीक और रोका जा सकता है।
विश्व कैंसर
दिवस थीम
विश्व कैंसर
दिवस हर वर्ष कुछ विशेष थीम पर मनाया जाता है; कुछ वर्षों के थीम को यहाँ नीचे दिया जा
रहा है:
2007 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “बच्चों का आज,
दुनिया का कल”।
2008 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “बच्चों और युवाओं को
एक धुआँ-मुक्त पर्यावरण दो”।
2009 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “मैं अपने स्वस्थ
सक्रिय बचपन से प्यार करता हूँ”।
2010 के विश्व कैंसर दिवस का थीम
था “कलेजे के कैंसर से संबंधित वायरस से रोकथाम के लिये
टीकाकरण”।
2011 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “ धूप से बचने के
उपाय के द्वारा बच्चों और युवाओं को शिक्षा”।
2012 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “एकसाथ ये मुमकिन है”।
2013 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “कैंसर- क्या आप
जानते थे ?”
2014 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “मिथकों का भंडाफोड़
करना”।
2015 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “हमारे सीमाओं के
बाहर नहीं है”।
2016 से 2018 विश्व कैंसर दिवस का
थीम है “हम कर सकते हैं। मै कर सकता हूँ।”।
2019 से लेकर 2021 तक के लिए थीम है 'मैं हूं और मैं रहूंगा।'