10 जून
भूगर्भ जल दिवस : जल ही जीवन है
पीने
योग्य पानि का मुख्य स्रोत भूगर्भ
जल ही है, मगर अनियोजित औधोगीकरण, प्रदूषण और
इनके दुरुपयोग के प्रति असंवेदनशीलता पूरे विश्व को एक बडे जल संकट की
ओर ले जा रही है.
पैकेट और बोतल बन्द पानी आज विकास के प्रतीकचिह्न बनते जा रहे हैं. और अपने संसाधनों के प्रति
हमारी लापरवाही अपनी मूलभूत आवश्यकता को बाजारवाद के हवाले कर देने की राह आसान कर
रही है.
आसन्न जल
संकट ने न सिर्फ हमारे पास-पड़ोस बल्कि, अपने देश के विभिन्न राज्यों के बीच भी विवाद खडे करने शुरु कर ही दिए
हैं. जल संकट ने कई पड़ोसी देशों को भी एक-दूसरे के आमने-सामने ला
दिया है. ये परिस्थितियाँ विश्व को निश्चित रुप से उस
विचार को हकीकत में परिणत करने की ओर ले जा रही हैं, जिसमें अगला विश्वयुद्ध पानी के लिए होने के अनुमान लगाए जाते रहे हैं.
आवश्यकता
इस सर्वहित के मुद्दे पर सरकारी ताम-झाम के साथ होने वली बौद्धिक जुगाली की नहीं अपितु व्यक्तिगत
स्तर पर उपयुक्त कदम उठाए जाने की है. साथ ही हमें जल संरक्षण के अपने पारंपरिक
ज्ञान को भी पुनर्जीवित करने की आवश्यकता है.
गान्धीजी
ने कहाँ था -
"धरती हरेक की आवश्यकता की पूर्ति कर सकती है, मगर किसी
एक के भी लोभ की पूर्ति नहीं कर सकती." हम इस कथन के भावार्थ को आत्मसात करें और अपने लोभ के लिए इस अमूल्य संसाधन से
खिलवाड़ न करते हुए इस
पृथ्वी को उसके मूलभूत स्वरूप में यथासंभव बनाए रखने
में अपना यथोचित योगदान दें, इसी में ऐसे दिवसों की सार्थकता
है.