राष्ट्रीय पंचायती राज
दिवस
24 अप्रैल, 1993 को संविधान में 73वां संशोधन अधिनियम 1992 लागू किया गया। तब से उस दिन को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के तौर पर मनाया जाता है। संविधान में 73वां संशोधन कर, पंचायती राज संस्थान का कॉन्सेप्ट पेश किया गया। इस कानून की मदद से स्थानीय निकायों को ज्यादा से ज्यादा शक्तियां दी गईं। उनको आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की शक्ति और जिम्मेदारियां दी गईं।
24 अप्रैल, 1993 को संविधान में 73वां संशोधन अधिनियम 1992 लागू किया गया। तब से उस दिन को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के तौर पर मनाया जाता है। संविधान में 73वां संशोधन कर, पंचायती राज संस्थान का कॉन्सेप्ट पेश किया गया। इस कानून की मदद से स्थानीय निकायों को ज्यादा से ज्यादा शक्तियां दी गईं। उनको आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की शक्ति और जिम्मेदारियां दी गईं।
पंचायती
राज व्यवस्था में ग्राम, तहसील, तालुका और ज़िला आते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राजव्यवस्था अस्तित्व में रही है, भले ही इसे विभिन्न नाम से विभिन्न काल में जाना जाता रहा हो। पंचायती राज
व्यवस्था को कमोबेश मुग़ल काल तथा ब्रिटिश काल में
भी जारी रखा गया। ब्रिटिश शासन काल में 1882 में
तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रिपन ने स्थानीय स्वायत्त शासन की स्थापना का प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका। ब्रिटिश शासकों ने स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं
की स्थिति पर जाँच करने तथा उसके सम्बन्ध में सिफ़ारिश करने के लिए 1882 तथा 1907 में शाही आयोग का गठन किया। इस
आयोग ने स्वायत्त संस्थाओं के विकास पर बल दिया, जिसके
कारण 1920 में संयुक्त प्रान्त, असम, बंगाल, बिहार, मद्रास और पंजाब में पंचायतों की स्थापना के लिए क़ानून बनाये गये। स्वतंत्रता संघर्ष के
दौरान भी संघर्षरत लोगों के नेताओं द्वारा सदैव पंचायती राज की स्थापना की मांग की
जाती रही।
भारत एक बहुत ही विस्तृत
देश है और इसे विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है. कई प्रदेशों में जनसँख्या
और क्षेत्रफल अधिक होने के कारण प्रदेश के सबसे ऊंचे पर पर बैठा व्यक्ति ग्रामीण
इलाकों के लोगों की समस्याओं से अवगत नहीं हो पाता था इसलिए यह तय किया गया कि देश
में लोकतंत्र की जड़ों को पेड़ की जड़ों की तरह फैलाया जाये.
इस काम
के लिए बलवंत
राय मेहता की अध्यक्षता में 1957 में एक समिति का
गठन किया गया था. समिति ने अपनी सिफारिस में जनतांत्रिक
विकेंद्रीकरण की सिफारिश की जिसे पंचायती राज कहा गया है. समिति ने 3 स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की बात कही थी.
भारत
में पंचायती राज व्यवस्था 3 प्रकार की है
क). ग्राम
स्तरीय पंचायत
ख). प्रखंड
(ब्लॉक) स्तरीय पंचायत
ग). जिला
स्तरीय पंचायत
राजस्थान
देश का पहला राज्य था जहाँ पर पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया गया था. इस योजना का शुभारम्भ प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने नागौर जिले में 2 अक्टूबर 1959 को किया था. इसके बाद इस योजना को 1959 में ही आंध्र
प्रदेश में लागू किया गया था.
पंचायती
राज दिवस
मनाने का कारण; (National Panchayati Raj day)
भारत
में पंचायती राज व्यवस्था की देखरेख के लिए 27 मई 2004 को पंचायती राज मंत्रालय को एक अलग मंत्रालय बनाया गया. भारत में हर साल 24 अप्रैल को राष्ट्रीय
पंचायती राज दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का
कारण 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 है जो 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ था. राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस
(NPRD) 2010 से 24 अप्रैल
को मनाया जा रहा है.
पंचायती
राज दिवस
पर दिए जाने वाले अवार्ड;
1. दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार; पंचायतों
के सभी तीन स्तरों के लिए सामान्य और विषयगत श्रेणियों में.
2. नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार (NDRGGSP) ग्राम पंचायतों को ग्राम सभा के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है.
3. ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) पुरस्कार: देश
भर में तीन सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली ग्राम पंचायतों को सम्मानित किया जाता
है.
4. बाल सुलभ ग्राम पंचायत पुरस्कार