चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की जयंती मनाई जाती है। इस बार महावीर जयंती अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 6 अप्रैल को मनाई जाएगी। जैन धर्म से जुड़े लोग बड़े ही धूम-धाम के साथ भगवान महावीर की जयंती मनाते हैं। इस पर्व के अवसर पर जैन मंदिरों में विधिवत पूजा-पाठ और मंदिरों को फूलों से सजाते हैं। इस दिन में शोभायात्राएं भी निकाली जाती है। भारत में कई जगहों पर जैन समुदाय द्वारा अहिंसा रैली निकाली जाती है। इस अवसर पर गरीब एवं जरुरतमंदों को दान दिया जाता है। कई राज्य सरकारों द्वारा मांस एवं मदिरा की दुकाने बंद रखने के निर्देश दिए जाते हैं।
भगवान महावीर का जन्म 599 ईसवीं पूर्व बिहार राज्य में लिच्छिवी वंश के राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के घर में हुआ था। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। भगवान महावीर का जन्म 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के मोक्ष प्राप्त करने के 188 वर्ष बाद हुआ था। ऐसी मान्यता है कि जब महावीर भगवान ने जन्म लिया था तब उसके बाद उनके राज्य में काफी तरक्की और संपन्नता आ गई थी। भगवान महावीर ने पूरी दुनिया को अहिंसा परमो धर्म: का संदेश दिया। भगवान महावीर ने अहिंसा को सभी धर्मो से सर्वोपरि है।
वर्धमान से महावीर की यात्रा
जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान महावीर ने 12 वर्षों की कठिन तपस्या से अपनी सभी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी। जिस कारण से उनका नाम महावीर रखा गया। कठोर तप और दीक्षा ग्रहण के बाद भगवान महावीर ने दिगंबर को स्वीकार्य किया और निर्वस्त्र रहकर मौन साधना की।
भगवान महावीर के पांच सिद्धांत-
पहला सिद्धांत- अहिंसा
किसी भी परिस्थिति में हिंसा से दूर रहना चाहिए। हिंसा से कभी भी किसी समस्या का हल नहीं निकल सकता। भूलकर भी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए।
दूसरा सिद्धांत- सत्य
कठिन से कठिन समय में कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। हमेशा सत्य वचन ही बोलना चाहिए।
तीसरा सिद्धांत- अस्तेय
मनुष्य का हमेशा संयम से काम लेना चाहिए।
चौथा सिद्धांत- ब्रह्राचर्य
ब्रह्राचर्य का पालन करना मन की पवित्रता के लिए बहुत जरूरी होता है। व्यक्ति का कभी कामुक नहीं होना चाहिए।
पांचवा सिद्धांत- अपरिग्रह
सभी सांसारिक और भोग की चीजों का त्याग करना चाहिए।
भगवान महावीर का जन्म 599 ईसवीं पूर्व बिहार राज्य में लिच्छिवी वंश के राजा सिद्धार्थ और रानी त्रिशला के घर में हुआ था। भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। भगवान महावीर का जन्म 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के मोक्ष प्राप्त करने के 188 वर्ष बाद हुआ था। ऐसी मान्यता है कि जब महावीर भगवान ने जन्म लिया था तब उसके बाद उनके राज्य में काफी तरक्की और संपन्नता आ गई थी। भगवान महावीर ने पूरी दुनिया को अहिंसा परमो धर्म: का संदेश दिया। भगवान महावीर ने अहिंसा को सभी धर्मो से सर्वोपरि है।
वर्धमान से महावीर की यात्रा
जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार भगवान महावीर ने 12 वर्षों की कठिन तपस्या से अपनी सभी इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर ली थी। जिस कारण से उनका नाम महावीर रखा गया। कठोर तप और दीक्षा ग्रहण के बाद भगवान महावीर ने दिगंबर को स्वीकार्य किया और निर्वस्त्र रहकर मौन साधना की।
भगवान महावीर के पांच सिद्धांत-
पहला सिद्धांत- अहिंसा
किसी भी परिस्थिति में हिंसा से दूर रहना चाहिए। हिंसा से कभी भी किसी समस्या का हल नहीं निकल सकता। भूलकर भी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए।
दूसरा सिद्धांत- सत्य
कठिन से कठिन समय में कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। हमेशा सत्य वचन ही बोलना चाहिए।
तीसरा सिद्धांत- अस्तेय
मनुष्य का हमेशा संयम से काम लेना चाहिए।
चौथा सिद्धांत- ब्रह्राचर्य
ब्रह्राचर्य का पालन करना मन की पवित्रता के लिए बहुत जरूरी होता है। व्यक्ति का कभी कामुक नहीं होना चाहिए।
पांचवा सिद्धांत- अपरिग्रह
सभी सांसारिक और भोग की चीजों का त्याग करना चाहिए।