विष्णु गणेश पिंगले
2 जनवरी 1888 - 17 नवंबर, 1915,
विष्णु गणेश पिंगले देश के लिए शहीद होने वाले
स्वतंत्रता सेनानी थे।देश की स्वतंत्रता के लिए शहीद होने वाले स्वतंत्रता
सेनानी थे।
विष्णु गणेश पिंगले का जन्म 1888 ई. में महाराष्ट्र के पुणे
जिले में चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। शिक्षा के लिए वे पुणे के समर्थ
विद्यालय में भर्ती हुए थे। उस समय यहां के जनमानस में क्रांतिकारी विचार फैल चुके
थे। वे भी उन क्रांतिकारी विचारों के प्रभाव में आ गये। 1910 में जब विद्यालय के संचालक के राजनीतिक
विचारों के कारण सरकार ने उसे बंद कर दिया तो 1911 में पिंगले उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त
करने अमेरिका चले गए।
विष्णु गणेश पिंगले क्रांतिकारी स्वभाव के व्यक्ति थे। भारत से अमेरिका जाते समय पिंगले यह सोचकर गए थे कि सशस्त्र
क्रांति से ही देश दासता से आजाद हो सकता है। वे अमेरिका में गदर
पार्टी के संस्थापक लाला
हरदयाल के संपर्क में आए। वहां के सीटल विश्वविद्यालय से इंजीनियरी में स्नातक
बनने के साथ-साथ वे गदर पार्टी के प्रमुख कार्यकर्ता भी बन गए। भारत की सेनाओं को
क्रांति के लिए तैयार करने के उद्देश्य से पिंगले और उनके बहुत से साथी 'कामागाटा मारू' नाम के जहाज में बैठकर भारत पहुंचे। उन्होंने नाम बदलकर देश की अलग-अलग
छावनियों की यात्रा की और भारतीय सैनिकों को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह के लिए तैयार करने लगे।
विष्णु गणेश पिंगले और उनके शिक्षक साथियों को 17 नवंबर 1915 को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया गया।
पिंगले जिस समय भारतीय
सेना को अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह के लिए तैयार कर रहे थे
उसी वक्त कोई मुखबिर पैदा हो गया और उस मुखबिर की सूचना पर 23 मार्च 1915 को पिंगले और उनके साथियों को गिरफ्तार कर
लिया गया। गिरफ्तार किये गये 82 व्यक्तियों पर षड्यंत्र का
मुकदमा चला जिनमें से 23 को फांसी की सजा हुई। उन व्यक्तियों
में से 17 जनों की सजा आजीवन कारावास में बदल दी गई।
विष्णु गणेश पिंगले का 17 नवंबर 1915 को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटकाये जाने से
देहांत हो गया।