आज यानी 8 सितंबर को 'अंतरराष्ट्रीय
साक्षरता दिवस' मनाया जा रहा है। साल 1966 में यूनेस्को ने शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने और दुनियाभर के
लोगों का ध्यान इस तरफ आकर्षित करने के लिए हर साल 8 सितंबर को विश्व
साक्षरता दिवस मनाने का निर्णय लिया था।
अंतरराष्ट्रीय
साक्षरता दिवस मनाने को लेकर पहली बार साल 1965
में 8 से 19 सितंबर के बीच ईरान के तेहरान में शिक्षा के मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के
दौरान चर्चा की गई थी। इसके बाद 26 अक्टूबर, 1966 को यूनेस्को ने 14वें जनरल कॉन्फ्रेंस में घोषणा करते हुए कहा कि हर साल दुनियाभर में 8 सितंबर को 'अंतरराष्ट्रीय
साक्षरता दिवस' के रूप में मनाया जाएगा।
मानव विकास और
समाज के लिए उनके अधिकारों को जानने और साक्षरता की ओर मानव चेतना को बढ़ावा देने
के लिए अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है। सफलता और जीने के लिए साक्षरता
बेहद महत्वपूर्ण है।
साक्षरता का
मतलब केवल सिर्फ पढ़ने-लिखने या शिक्षित होने से ही नहीं है। यह लोगों के अधिकारों
और कर्तव्यों के प्रति जागरूकता लाकर सामाजिक विकास का आधार बन सकती है। संयुक्त
राष्ट्र के एक आंकड़े के मुताबिक, दुनियाभर में चार अरब लोग साक्षर हैं और आज भी 1 अरब लोग पढ़-लिख नहीं
सकते हैं।
2018
में जारी एमएचआरडी की शैक्षिक सांख्यिकी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की साक्षरता दर 69.1% है। यह नंबर गांव और
शहर दोनों को मिलाकर है। ग्रामीण भारत में साक्षरता दर 64.7 पर्सेंट है जिसमें
महिलाओं का लिटरेसी रेट 56.8% तो पुरुषों का 72.3% है। बात करें शहरी भारत की तो इसमें साक्षरता दर 79.5 पर्सेंट है जिसमें 74.8% महिलाएं पढ़ी-लिखी
हैं। वहीं, 83.7 पुरुष पढ़े-लिखे हैं।
भारत में
साक्षरता दर कम होने के पीछे कई कारण हैं। इनमें विद्यालयों की कमी, स्कूल में शौचालय आदि
का ना होना, जातिवाद, गरीबी, लड़कियों से छेड़छाड़ होने का डर,
जागरूकता की कमी जैसी कई चीजें शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय
साक्षरता दिवस का विषय (थीम)
बहुत सारे देशों में पूरे विश्व
की निरक्षरता से संबंधित समस्याओं को सुलझाने के लिये कुछ सामरिक योजनाओं के
कार्यान्वयन के द्वारा इसे प्रभावशाली बनाने के लिये हर वर्ष एक खास विषय पर
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस उत्सव मनाया जाता है।
- सामाजिक प्रगति प्राप्ति पर ध्यान देने के लिये 2006 का विषय “साक्षरता सतत विकास” था।
- महामारी (एचआईवी, टीबी और मलेरिया आदि जैसी फैलने वाली बीमारी) और साक्षरता पर ध्यान देने के लिये 2007 और 2008 का विषय “साक्षरता और स्वास्थ्य” था।
- लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण पर ध्यान देने के लिये “साक्षरता और सशक्तिकरण” 2009 का मुद्दा था।
- वर्ष 2010 में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए थीम "साक्षरता विकास को बनाए रखने" था।
- वर्ष 2011 में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए थीम " साक्षरता और महामारी (एचआईवी, क्षय रोग, मलेरिया, आदि जैसे संक्रमणीय बीमारियों) पर ध्यान केंद्रित करने के लिए "साक्षरता और स्वास्थ्य" था।
- वर्ष 2012 में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए थीम "लैंगिक समानता और महिलाओं को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए "साक्षरता और सशक्तिकरण" था।
- वर्ष 2013 में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए थीम "शांति के लिए साक्षरता के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने के लिए "साक्षरता और शांति" था।
- वर्ष 2014 में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए थीम "21 वीं शताब्दी के लिए साक्षरता" था।
- वर्ष 2015 में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए थीम "साक्षरता और सतत विकास" था।
- वर्ष 2015 में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए थीम "साक्षरता और सतत समाज" था।
- वर्ष 2016में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए थीम "अतीत पढ़ना, भविष्य लिखना" था।
- वर्ष 2017 में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए थीम "डिजिटल दुनिया में साक्षरता" था।
- वर्ष 2018 में अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के लिए थीम "साक्षरता और कौशल विकास" था।