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दुनिया में 14
जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. इस
दिवस का मुख्य उद्देश्य सुरक्षित रक्त रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में
जागरूकता बढ़ाना और रक्तदाताओं के सुरक्षित जीवन रक्षक रक्त के दान करने के लिए
उन्हें प्रोत्साहित करते हुए आभार व्यक्त करना है.
इस दिन
जागरूकता अभियान चलाया जाता है और लोगों को मुफ्त रक्तदान करने के लिए प्रेरित
किया जाता है.
विश्व रक्तदान दिवस:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 1997 से प्रत्येक वर्ष 14 जून को 'विश्व रक्तदान दिवस' मनाया जाता है. वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली थी.
- इसके अंतर्गत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा दें.
- इसका मुख्य उद्देश्य यह था कि रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए पैसे देने की जरूरत नहीं पड़े. अबतक विश्व के लगभग 49 देशों ने ही इस पर अमल किया है.
14 जून ही
रक्तदान दिवस क्यों?
महान
वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाईन का जन्म 14 जून 1868 को हुआ था. उन्होंने मानव रक्त में
उपस्थित एग्ल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्तकणों का ए, बी और ओ समूह में
वर्गीकरण किया. इस वर्गीकरण ने चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
उनकी इसी खोज से आज करोड़ों से ज्यादा रक्तदान रोजाना होते हैं और लाखों की
जिंदगियां बचाई जाती हैं. इस महत्वपूर्ण खोज के लिए ही कार्ल लैंडस्टाईन को वर्ष
1930 में नोबल पुरस्कार
दिया गया था.
रक्तदान कौन कर सकता हैं:
18 से 65 साल की आयु के सभी स्वस्थ जिनका वजन 45 किग्रा और उससे अधिक है वह रक्तदान कर सकते हैं.
रक्तदान के फायदे:
नियमित
रक्तदान की आदत व्यक्ति को हाई कॉलेस्टोल, हार्ट
प्रॉब्लम, हिमोग्लोबिन की कमी और मोटापा जैसी
बीमारियों से बचा सकती है. इसके साथ ही रक्तदान से शरीर को आंतरिक रूप से भी
स्वस्थ्य रखा जा सकता है. एक रक्तदाता चार लोगों की जिंदगियों को बचा सकता है.
विशेषज्ञों के अनुसार नियमित ब्लड डोनेशन करना हैल्दी रहने का एक अच्छा तरीका भी
माना जाता है. ब्लड डोनेशन के बाद एक माह में ही नया ब्लड बन जाता है. नियमित
रक्तदान करने से यूरिक एसिड और कोलेस्ट्रोल की मात्रा पर नियंत्रण रहता है. शरीर
के अंदर से पुराना रक्त निकल जाने से नए खून का संचार होने लगता है, साथ ही नई लाल रक्त कोषिकाओं का उत्पादन होना शुरू हो जाता
है.
स्वस्थ व्यक्ति हर तीसरे महीने
रक्तदान:
रक्तदान
करने से शरीर में कोई कमी नहीं आती और कोई भी स्वस्थ व्यक्ति हर तीसरे महीने
रक्तदान कर सकता है.
विश्व रक्त दाता दिवस क्यों मनाया
जाता है?
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दुनिया में कहीं भी जरुरतमंद व्यक्ति के लिये रक्त-आधान और रक्त उत्पाद आधान की
जरुरत को पूरा करने के लिये विश्व रक्त दाता दिवस मनाया जाता है. ये अभियान
प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की जान बचाता है और रक्त प्राप्त करने वाले व्यक्ति के
चेहरे पर एक प्राकृतिक मुस्कुराहट देता है.
रक्त-आधान
लंबे और गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने के लिये उन्हें प्रेरित करता है और कई प्रकार के
स्वास्थ्य संबंधी जीवन से जुड़े खतरों से पीड़ित मरीज को मदद प्रदान करता है.
रक्तदान को लेकर ग़लतफहमी:
रक्त
से आपकी ज़िंदगी तो चलती ही है साथ ही कितने अन्य के जीवन को भी बचाया जा सकता है.
विश्व के इस सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में अभी भी बहुत से लोग यह समझते हैं कि
रक्तदान से शरीर कमज़ोर हो जाता है और उस रक्त की भरपाई होने में महिनों लग जाते
हैं.
इतना
ही नहीं यह ग़लतफहमी भी व्याप्त है कि नियमित रक्त देने से लोगों की रोगप्रतिकारक
क्षमता कम होती है और उसे बीमारियां जल्दी जकड़ लेती हैं. यहाँ भ्रम इस क़दर फैला
हुआ है कि लोग रक्तदान का नाम सुनकर ही कॉप उठते हैं.
भारत में रक्तदान की स्थिति:
विश्व
स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत है
लेकिन उपलब्ध 75
लाख यूनिट ही हो पाता है.
यानी क़रीब 25
लाख यूनिट रक्त के अभाव में
हर साल सैंकड़ों मरीज़ दम तोड़ देते हैं.