भारत में सबसे ज्यादा बोले जानी वाली मातृभाषा में हिंदी नंबर वन, संस्कृत की स्थिति खराब
भारत में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं
में हिंदी पहले नंबर पर है। 2011 के जनगणना के आधार पर भारतीयों भाषाओं
के आंकड़े के अनुसार हिंदी को मातृभाषा के रूप में बताने वाले लोगों की संख्या में 2001
के जनगणना के मुकाबले में 2011 में बढ़ोतरी
हुई है। 2001 में 41.03% लोगों ने
हिंदी को मातृभाषा बताया था जबकि 2011 में इसकी संख्या बढ़कर
43.63% हो गई है। बांग्ला भाषा दूसरे नंबर पर बरकरार है वहीं,
मराठी ने तेलुगू को तीसरे स्थान से अपदस्थ कर दिया है। 22 सूचीबद्ध भाषाओं में संस्कृत सबसे कम बोली जाने वाली भाषा है।
केवल 24,821 लोगों ने संस्कृत को
अपनी मातृभाषा बताया है। बोलने वालों की सख्या के लिहाज से संस्कृत बोडो, मणिपुरी, कोंकणी और डोगरी भाषओं से भी नीचे है। 2011
जनगणना के आंकड़े के अनुसार गैर सूचीबद्ध भाषाओं में अंग्रेजी को
करीब 2.6 लाख लोगों ने मातृभाषा बताया। अंग्रेजी को पहली
भाषा बताने वाले लोगों में सबसे ज्यादा 1.06 लाख लोग
महाराष्ट्र से हैं। तमिलनाडु इस मामले में दूसरे स्थान पर और कर्नाटक तीसरे स्थान
पर है।
गैर सूचीबद्ध भाषआों में राजस्थान में बोली जाने वाली
भिली/भिलौडी भाषा 1.04 करोड़
की संख्या के साथ पहले नंबर पर है। इसके बाद गोंडी दूसरे नंबर पर है। इसे बोलने
वालों की संख्या 29 लाख है।
भारत में बांग्ला को मातृभाषा बताने वालों लोगों का प्रतिशत
बढ़कर 8.3% हो गया है। मराठी
बोलने वालों की संख्या 2001 की तुलना में 6.99% से बढ़कर 2011 में 7.09% हो
गया है। 2001 में तेलुगू भाषा बोलने वाली संख्या 7.19%
से घटकर 2011 में 6.93% पर
पहुंच गया है।
उर्दू 2001 में छठे स्थान पर था लेकिन, 2011 के आंकड़े के
अनुसार वह खिसककर सातवें स्थान पर पहुंच गई है। गुजराती ने 4.74% बोलने वालों की संख्या के साथ छठे स्थान पर कब्जा कर लिया है।