प्रणब मुखर्जी ने कहा कि 5000 वर्ष पुरानी हमारी सभ्यता को कोई भी विदेशी
आक्रमणकारी और शासक खत्म नहीं कर पाया। कई लोगों ने सैकड़ों सालों तक भारत पर शासन
किया, फिर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत पर शासन किया। बाद
में ईस्ट इंडिया कंपनी आई। 12वीं सदी के बाद भारत में 600 साल मुस्लिम शासकों का राज रहा। लेकिन हमारी संस्कृति कामय रही। उन्होंने
कहा कि राष्ट्रवाद किसी भाषा, रंग, धर्म,
जाति आदि से प्रभावित नहीं होता। भारत की आत्मा बहुलवाद में बसती
है। इतनी विविधता के बावजूद भारतीयता ही हमारी पहचान है। बातचीत से ही विभिन्न
विचाराधारा के लोगों की समस्याओं का समाधान संभव है। हमें लोकतंत्र गिफ्ट के रूप
में नहीं मिला। बाल गंगाधर तिलक ने 'स्वराज हमारा जन्मसिद्ध
अधिकार है' का नारा दिया।
नागपुर के
कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को अपना
समय देने के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही कहा कि यह संघ का एक नियमित कार्यक्रम है, हर साल होता है, लेकिन इस बार चर्चा
कुछ ज्यादा है। प्रणब मुखर्जी के कार्यक्रम में आने को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो
रही है, जो बेकार है। संघ
के लिए कोई पराया नहीं है। संघ पूरे समाज को एकजुट करना चाहता है। भागवत ने कहा कि
प्रणब मुखर्जी को कैसे और क्यों बुलाया, ये चर्चा गैरजरूरी है। भारत की भूमि
पर जन्मा हर शख्स अपना है, इसमें
कोई विवाद नहीं है। देश में विविधता होना सुंदरता और समृद्धि की निशानी है। दूसरों
की विविधता को स्वीकार करके उसे सम्मान देते हुए एकता जरूरी है। भारत में जो कोई
भी बाहर से आया उसे देश में शामिल किया गया। हम सभी को एक होकर देश की सेवा करनी
होगी। सिर्फ सरकारें देश का भाग्य नहीं बनाती हैं।संघ प्रमुख ने बताया कि डॉ
हेडगेवार आजादी से पहले कांग्रेस के आंदोलन में भी शामिल हुए थे। 1925 में हेडगेवार ने
संघ की शुरुआत सिर्फ 17
लोगों के साथ की थी। स्थापना के बाद विभिन्न दिक्कतों के बाद भी संघ आगे बढ़ता गया, अब संघ लोकप्रिय
है। आज संघ कार्यकर्ता जहां जाते हैं, उन्हें लोगों को प्यार मिलता है।
संघ सबको जोड़ने वाला संगठन है।
इससे पहले प्रणब मुखर्जी आज
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक हेडगेवार के घर पहुंचे। यहां
विजिटर बुक में प्रणब मुखर्जी ने हेडगेवार को भारत मां का महान सपूत लिखा। इस
दौरान प्रणब मुखर्जी के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे। उन्होंने
लिखा, 'मैं यहां भारत
माता के महान सूपत को सम्मान और आदर देने के लिए आया हूं।'
आइए आपको बताते हैं प्रणब मुखर्जी की वो मुख्य बातें जो उन्होंने आरएसएस के
मंच से कहीं...
- मैं राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर बोलने आया हूं।
- देशभक्ति में देश के सारे लोगों का योगदान है।
- देशभक्ति का मतलब देश के प्रति आस्था है।
- भारत में आने वाले सभी लोग इसके प्रभाव में आए।
- मैं भारत के बारे में बात करने आया हूं।
- हिन्दुस्तान एक स्वतंत्र समाज है।
- सबने कहा है कि हिन्दु धर्म एक उदार धर्म है ।
- राष्ट्रवाद किसी भी देश की पहचान ।
- भारत के दरवाजे सबके लिए खुले हैं ।
- भारतीय राष्ट्रवाद में एक वैश्विक भावना रही है।
- हम एकता की ताकत को समझते हैँ ।
- विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
- हम एकता की ताकत को समझते हैं ।
- सहिष्णुता हमारी सबसे बड़ी पहचान है।
- 1800 साल तकक भारत दुनिया में शिक्षा का केंद्र रहा।
- इसी साल चाणक्य ने अर्थशास्त्र की रचना की ।
- कई शासकों के राज के बाद हमारी संस्कृति सुरक्षित रही ।
- अगर हम भेदभाव, नफरत करें तो पहचान को खतरा है।
- हिंदू, मुसलमान, सिख मिलकर ही राष्ट्र बनाते हैं।
- संविधान से राष्ट्रवाद की भावना बहती है।
- राष्ट्रवाद को किसी धर्म, भाषा, और जाति से बांधा नहीं जा सकता।
- विविधता और टॉलरेंस में ही भारत बसता है।
- 50 साल में मैनें यही सीखा है।
- भारत में 7 धर्म, 122 भाषाएं, 600 बोलियां इसके बावजूद 130 करोड़ की पहचान भारतीय।
- सिर्फ एक धर्म, एक भाषा भारत की पहचान नहीं है।
- हिंसा और गुस्सा छोड़कर हम शांति के रास्ते पर चलें ।
- आज गुस्सा बढ़ रहा है, हर दिन हिंसा की खबर आ रही है।
- आर्थिक प्रगति के बाद भी हैप्पीनेस में हम पिछड़े ।