पिछले ही महीने भारतीय जनता पार्टी ने त्रिपुरा के विधानसभा चुनावों में 25 वर्षों से शासन कर रही कम्युनिस्ट पार्टी का सफाया किया है। इस एतिहासिक चुनाव में बीजेपी ने 59 सीटों में 43 सीटों पर जीत हासिल की। इस जीत के साथ ही वहां काफी कुछ बदल रहा है और दो पार्टियों के बीच का मतभेद अब खुल कर सामने आने लगा है।
यही नहीं भारतीय जनता पार्टी और सीपीआइएम के बीच विचारधारा का मतभेद अब बच्चों की पढ़ाई में भी दिखने जा रहा है। ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद सत्ता में आई बीजेपी सरकार अब त्रिपुरा शिक्षा बोर्ड की किताबों को बदलने की तैयारी में है। अब बोर्ड की किताबों के स्थान पर एनसीईआरटी की किताबों से पढाई कराई जाएगी।
सूबे के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा कि उनकी सरकार राज्य के स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों से ही पढ़ाई करवाएगी। उन्होंने ये भी कहा कि स्टेट बोर्ड में एनसीईआरटी की किताबें लाने पर विचार करने के लिए एक कमेटी बनाई है और उसपर काम चल रहा है। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वो क्वांटिटी एजुकेशन की जगह क्वालिटी एजुकेशन देने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने राज्य की शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर बात की।
देब कहा कि पिछली सरकार त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के सहारे अपनी सोच छात्रों पर मढ़ रही थी। वह मार्क्सिस्ट प्रोपेगैंडा फैला रही थी। उन्होंने कम्यूनिस्ट पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली सरकार चाहती थी कि उसके राज्य के बच्चे सिर्फ माओ के बारे में पढ़ें और हिंदू राजाओं को भूल जाएं। उन्होंने सरकारी किताबों से महात्मा गांधी को हटा दिया है और अब एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा, जिसमें त्रिपुरा के इतिहास से जुड़े भी कई पाठ होंगे।
उन्होंने कहा कि अभी किताबों में रूस-फ्रांस की क्रांति, इंग्लैंड में क्रिकेट का जन्म, हिटलर के बारे में पढ़ाया जाता है। साथ ही छात्रों को कार्ल मार्क्स, हिटलर पढ़ाया जाता है, लेकिन हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में नहीं पढ़ाया जाता है। किताबों में रानी लक्ष्मीबाई, सुभाष चंद्र बोस आदि के बारे में जानकारी नहीं है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि एनसीईआरटी की किताबों में 10 फीसदी स्टेट बोर्ड का पाठ्यक्रम भी होगा।
सूबे के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने कहा कि उनकी सरकार राज्य के स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों से ही पढ़ाई करवाएगी। उन्होंने ये भी कहा कि स्टेट बोर्ड में एनसीईआरटी की किताबें लाने पर विचार करने के लिए एक कमेटी बनाई है और उसपर काम चल रहा है। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि वो क्वांटिटी एजुकेशन की जगह क्वालिटी एजुकेशन देने में विश्वास रखते हैं। उन्होंने राज्य की शिक्षा से जुड़े कई मुद्दों पर बात की।
देब कहा कि पिछली सरकार त्रिपुरा बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के सहारे अपनी सोच छात्रों पर मढ़ रही थी। वह मार्क्सिस्ट प्रोपेगैंडा फैला रही थी। उन्होंने कम्यूनिस्ट पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली सरकार चाहती थी कि उसके राज्य के बच्चे सिर्फ माओ के बारे में पढ़ें और हिंदू राजाओं को भूल जाएं। उन्होंने सरकारी किताबों से महात्मा गांधी को हटा दिया है और अब एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा, जिसमें त्रिपुरा के इतिहास से जुड़े भी कई पाठ होंगे।
उन्होंने कहा कि अभी किताबों में रूस-फ्रांस की क्रांति, इंग्लैंड में क्रिकेट का जन्म, हिटलर के बारे में पढ़ाया जाता है। साथ ही छात्रों को कार्ल मार्क्स, हिटलर पढ़ाया जाता है, लेकिन हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में नहीं पढ़ाया जाता है। किताबों में रानी लक्ष्मीबाई, सुभाष चंद्र बोस आदि के बारे में जानकारी नहीं है। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि एनसीईआरटी की किताबों में 10 फीसदी स्टेट बोर्ड का पाठ्यक्रम भी होगा।