कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालयों की छात्राओं की ठंड से सुरक्षा के लिए सरकार की ओर से भेजी गई बिस्तरों की रकम का भी बीएसए और सर्व शिक्षा अभियान के अधिकारियों ने मिलकर बंदरबांट कर लिया है। जिले में तहसीलवार खुले कुल 18 आवासीय विद्यालयों में जनवरी के अंतिम सप्ताह में बिस्तर के 50-50 सेट सप्लाई किए गए जबकि बीएसए का ‘आदेश’ बताकर सभी स्कूलों से सौ-सौ सेट सप्लाई होने की रिसीविंग करा ली गई।
स्कूलों में बिस्तरों की सप्लाई का ठेका साईं इंटरप्राइजेज नाम की फर्म को दिया गया। 625 रुपये के एक सेट में रजाई, गद्दा, कॉटन की चादर और तकिया उपलब्ध कराना था। फर्म की ओर से सभी 18 स्कूलों को 50-50 सेट उपलब्ध कराए गए हैं। एक स्कूल को उपलब्ध कराए 50 सेट की जीएसटी के साथ कुल रकम 70 हजार रुपये है। इस हिसाब से 18 स्कूलों में कुल 6.30 लाख रुपये कीमत के बिस्तरों की सप्लाई ही की गई, बाकी 6.30 लाख रुपये का बंदरबांट हो गया। बता दें कि बिस्तरों की सप्लाई सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी सर्व शिक्षा अभियान की समन्वयक और बीएसए की है। एएओ को भी देखना होता है कि धनराशि की उपयोग हुआ है या नहीं। अब बात खुलने पर ठेकेदार नितेश का कहना है कि बाकी 50 सेट की सप्लाई जल्द करा दी जाएगी। हर स्कूल में 50-50 ही तखत हैं, जिनके लिए बिस्तर उन्होंने जनवरी के अंतिम सप्ताह तक सप्लाई कर दिए थे। ठेकेदार का कहना है कि बाकी बिस्तर स्टोरेज के लिए विभाग ने आर्डर किए हैं।ब्लैक लिस्टेड फर्म को ठेका
जो फर्म पांच साल पहले पीलीभीत में ब्लैक लिस्ट कर दी गई उसे बरेली की बीएसए विभाग ने बिस्तर बांटने का टेंडर दे दिया। वर्ष 2011-12 में पीलीभीत जिले के बीएसए ने सेवा में अनियमितताओं के चलते साईं इंटरप्राइजेज को ब्लैक लिस्ट कर दिया था।
जूते-चप्पल की भी रकम खा गए
नियम के हिसाब से सरकार हर साल बा स्कूलों में पढ़ रहीं सभी सौ-सौ छात्राओं के जूते-चप्पल और तौलिये के लिए बजट देती है। इस साल भी सभी 1800 छात्राओं के लिए बजट आया पर इसमें भी घपला कर दिया गया। हर स्कूल में बीस से 50 ऐसी छात्राओं को ही जूते-चप्पल और तौलिया बांटे गए जिन्होंने वर्तमान शैक्षिक सत्र में दाखिला कराया था। फरीदपुर, बहेड़ी, नगर क्षेत्र समेत कई बा स्कूलों में तो नए दाखिले वाली छात्राओं को भी ये सामग्री नहीं बंटी। हद तो यह है कि जो जूते-चप्पल बांटे भी गए हैं वे छात्राओं के नाप के नहीं हैं। बजट का उपयोग कराने की जिम्मेदारी समन्वयक शिल्पी श्रीवास्तव और बीएसए चंदनाराम इकबाल यादव की थी।
महीने में शैंपू का एक पाउच, बीमार हो रहीं छात्राएं
बेटियों की पढ़ाई और उनके विकास के लिए स्वच्छता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष जोर है। आवासीय स्कूल होने के कारण प्रति छात्रा साबुन, सर्फ, शैंपू और तेल के लिए अलग से बजट आता है। पर स्कूलों की हालत यह है कि छात्राओं को हर महीने शैंपू और तेल का एक ही पाउच मिलता है। सूत्रों की मानें तो हालात इतने खराब हैं कि अब सभी छात्राओं के लिए एक-एक शैंपू भी नहीं मिल रहा। कक्षावार छात्राओं का नंबर लगाकर उन्हें साबुन, तेल और शैंपू बांटे जाते हैं। छात्राएं अक्सर बिना बाल धोए रहती हैं। अक्सर छात्राओं के बीमार पड़ने की खबरें आती हैं, जिनका मुख्य कारण उनकी स्वच्छता न होना है।
बच्चियों की रकम हजम, शिक्षकों को मानदेय नहीं
अफसर एक ओर छात्राओं की शिक्षा और रहने-खाने के लिए आने वाला रुपया हजम कर रहे हैं। दूसरी ओर, शिक्षकों का मानदेय नहीं दिया जा रहा। कस्तूरबा गांधी आवासीय छात्रा विद्यालय और समेकित शिक्षा (दिव्यांग शिक्षा) की समन्वयक की जिम्मेदारी शिल्पी श्रीवास्तव संभाल रही हैं। शिक्षकों का कहना है कि बजट उपलब्ध होने के बाद भी उनका मानदेय नहीं दिया जा रहा। समेकित शिक्षा के 38 शिक्षकों को अक्तूबर के बाद से मानदेय नहीं मिला है। परियोजना की ओर से भी नवंबर से जनवरी तक का मानदेय जारी करने का आदेश जनवरी में ही बीएसए को आ गया। होली आने को है पर दोनों ही शाखा के शिक्षकों के मानदेय जारी नहीं हुए हैं।
बीएसए ने साधी चुप्पी
बीएसए पांच तारीख तक अवकाश पर हैं। उनकी जगह प्रभारी बीएसए राजीव श्रीवास्तव जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। इस मामले में बीएसए के सीयूजी पर संपर्क किया गया, राजीव श्रीवास्तव ने बीएसए से बातचीत करके जवाब देने की बात कही। पर इसके बाद उनकी ओर से चुप्पी साध ली गई है।
मैंने सौ सेट सप्लाई का बिल पहले दे दिया, यह मेरी गलती है। पर मैंने कोई गलत काम नहीं किया है, बाकी के 50-50 सेट तैयार करवा रहा हूं, एक सप्ताह में सप्लाई कर दूंगा। - नितेश सक्सेना, ठेकेदार, साईं इंटरप्राइजेज
यह गंभीर मामला है, बीएसए से जवाब मांगा जाएगा। मामले में जांच कराऊंगा। - पीवी जगनमोहन, मजिस्ट्रेट