'परीक्षा पर चर्चा'
में बोले पीएम मोदी- दूसरों से नहीं बल्कि खुद से करें प्रतिस्पर्धा
10वीं और 12वीं की बोर्ड
परीक्षाओं के कुछ ही सप्ताह शेष रहने के बीच प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी देशभर के 10 करोड़ छात्रों से
परीक्षा से जुड़े विविध विषयों पर चर्चा किया. इस दौरान वे छात्रों के सवालों का
जवाब भी देते रहे है. छात्रों से चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भूल जाइये कि
आप प्रधानमंत्री से बात कर रहे हैं. मैं आपका दोस्त हूं और आज परीक्षा मेरी है.
पीएम ने कहा कि मुझे यहां तक पहुंचाने में मेरे शिक्षकों का बड़ा योगदान है.
पीएम मोदी द्वारा कही गई खास बातें...
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आज देशभर के 10 करोड़ से ज्यादा
बच्चे, शिक्षक ओर
अभिभावकों से रूबरू होने का मौका मिला है.
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पीएम ने तीन
छात्रों के सवालों के जवाब देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि अपने
आप को कम मत मानो. वे आत्मविश्वास जगाने की बात किया करते थे.
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यह मोदी का
कार्यक्रम नहीं है. यह देश के करोड़ों बच्चों का कार्यक्रम है.
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आत्मविश्वास लंबा
का भाषण सुनने से नहीं आता.
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हमें अपने आप को हर
पल कसौटी पर कसने की आदत डालनी चाहिए.
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आत्मविश्वास हर
कदम पर कोशिश करते हुए बढ़ता है.
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ध्यान के लिए कुछ
विशेष करने की जरूरत नहीं है. बस मन लगाकर अपना काम करें.
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योगा शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा
को सिंक्रनाइज़ करता है.
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अतीत का अपना महत्व
है, लेकिन जब वह बोझ बन
जाता है तो भविष्य के सपने रौंद जाते हैं और वर्तमान भी मुश्किलों भरा हो जाता
है.
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अपने आप को जानने
की कोशिश करें.
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खेल जगत के बड़े
नामों की कोई डिग्री के बारे में पूछता है क्या?
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दूसरों से नहीं, बल्कि खुद से
प्रतिस्पर्धा करें.
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प्रतिस्पर्धा न
करें, अनुस्पर्धा करें.
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हम अपने माता-पिता
के इरादों पर शक न करें.
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हमारे माता-पिता भी
हमारे लिए अपनी जिंदगी खपा देते हैं.
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मां-बाप के जीवन का
सपना होता है कि वह अपने बच्चों को कुछ बड़ा बनते हुए देखें.
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बहुत से मां-बाप
होते हैं, जिन्होंने अपने
बचपन में सपने देखे होते हैं, लेकिन उसे पूरा नहीं कर पाते तो उन सपनों का बोझ अपने बच्चों पर डाल देते हैं, वे ऐसा न करें. बच्चों
को उनके अपने सपने पूरे करने दें.
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भारत का बच्चा जन्मजात
पॉलिटिशियन होता है. संयुक्त परिवार में पलकर वह स्थितियों को भांपकर अपने बड़ों
से अपनी बात मनवा लेता है.
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माता-पिता से खुलकर
संवाद करना चाहिए.
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माता-पिता जब अच्छे
मूड में हो, तब उनसे संवाद करना चाहिए.
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अपने बच्चे के
सामर्थ्य को दूसरे बच्चे के सामर्थ्य से मत आंके.
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क्या एक परीक्षा
जिंदगी होती है?
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आप पूर्व राष्ट्रपति
अब्दुल कमाल का उदाहरण लिजिए.
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एक खुलापन और अच्छा
वातावरण परिवार में रहना चाहिए.
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मैं हमेशा आपका
मित्र हूं.
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शास्त्रों में पंच
महाभूत की चर्चा है.
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खुले पैर से मिट्टी
में दौड़ने का आनंद लीजिए.
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खेलने का शौक है तो
खेलिए. गाने का शौक है तो गाइए.
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स्वयं में खुलापन
छोडि़ए.
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जो अच्छा लगता है
वो कीजिए.
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हर वक्त करियर और
परीक्षा की टेंशन ठीक नहीं है.
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संगीत की जगह मां
की लोरी से बच्चा चुप हो जाता है, यही EQ है.
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समाज में जितने
लोगों से जुड़ेंगे, आपका EQ उतना ही बढ़ेगा.
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योग का जो आसन आसान
लगे, उसी से शुरुआत
करें.
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छात्रों और
शिक्षकों में भावनात्मक रिश्ता होना चाहिए.
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हमें पता होना
चाहिए कि हम अपने समय का कहां सदुपयोग कर सकते हैं.
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समय के अनुसार
लचीलापन चाहिए.
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टाइम मैनेजमेंट
बहुत जरूरी है. समय को बर्बाद करने वाला काम न करें.
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एक ही टाइम टेबल
हमेशा नहीं चलता.
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समय के साथ बदलते
रहिए.
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कर्म करते रहिए, नतीजे की फिक्र न
करें.
चर्चा से पहले पीएम ने तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों द्वारा बनाई गईं
कलाकृतियों और कागजों पर उकेरी गई जानकारियों को देखा. इस संवाद में पीएम नरेंद्र
मोदी छात्रों को संबोधित कर उन्हें परीक्षा की तैयारियों के गुर सिखा रहे हैं, ताकि छात्रों को
तनाव से मुक्ति मिले.
इस दौरान केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि 'पहली बार देश के
किसी प्रधानमंत्री ने छात्रों से परिचर्चा कर रहे हैं. परीक्षा को
तनावमुक्त कैसे बनाएं, उसे पर्व के रूप में कैसे लें, इसके बारे में पीएम मोदी जानकारी देंगे. परीक्षा के तनाव को कम करना बेहद जरूरी है. सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा देंगे. हमारे बेस्ट ब्रेन विदेशों में जा रहे हैं. अब शिक्षक By Chance नहीं, बल्कि By Choice बनेंगे'.
Video - परीक्षा पर चर्चा