उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को
पत्र लिखकर आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन मांग का हवाला देते हुए शिक्षा
मित्रों को पुन: सहायक अध्यापक के पद पर बहाल करने के लिए कहा है।
सहारनपुर के सांसद राधव लखनपाल, कैसरगंज के सांसद बृजभूषण शरण सिंह, बिजनौर के सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह, डुमरियागंज सांसद जगदंबिका पाल, बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी और धौरहरा के सांसद रेखा वर्मा ने आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र शाही के आग्रह पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।
सहारनपुर के सांसद राधव लखनपाल, कैसरगंज के सांसद बृजभूषण शरण सिंह, बिजनौर के सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह, डुमरियागंज सांसद जगदंबिका पाल, बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी और धौरहरा के सांसद रेखा वर्मा ने आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र शाही के आग्रह पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।
सांसदों ने सहायक अध्यापक के पद पर बहाल होने तक समान कार्य समान
वेतन के आधार पर वेतन देने, नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन के 23 अगस्त 2010 की अधिसूचना के पैरा 4 में शिक्षा मित्रों को शामिल कर टीईटी से छूट
दिलाने और शिक्षा मित्रों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की एसोसिएशन की मांग को
प्रधानमंत्री तक पहुंचाया है।
पिछले सात माह से शिक्षामित्रों को
नहीं मिला एक भी पैसा
केस 1- दो बच्चों को
मिला है नोटिस
कमलेश कुमार मिश्रिख विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय हुसेनपुर में शिक्षामित्र हैं। यह अपने बच्चों की फीस जमा नहीं कर पा रहे है। कमलेश का कहना है पिछले सात माह से सैलरी नहीं मिली है। इसकी वजह से विद्यालय की तरफ से दोनों बच्चों को नोटिस दिया गया है। समझ नहीं आ रहा है कि आखिर कहां से फीस जमा करूं।
केस 2- बेटी को है ब्लड कैंसर, कैसे कराएं इलाज
पिसावां के प्राथमिक विद्यालय सैतियापुर में सुंदर कुमार शिक्षामित्र है। सुंदर की लड़की को ब्लड कैंसर है। जब सैलरी मिलती थी तो उन्हें इलाज कराने में इतनी परेशानी नहीं आती थी। अब जब समायोजन रद्द हो गया है। इसके बाद अगस्त से एक रुपया भी नहीं मिला है इसके कारण वह अपनी बेटी का इलाज नहीं करा पा रहे हैं।
केस 3- खुद का नहीं करा पा रहे इलाज
पिसावां के प्राथमिक विद्यालय भजोड़वा में विकास बाजपेई शिक्षामित्र हैं। पहले इनका समायोजन हो गया था। जिससे जुलाई 2017 तक वेतन मिला। उसके बाद इनको विभाग से एक रुपया भी नहीं मिला है। इसकी वजह से यह अपना इलाज नहीं करा पा रहे। वहीं मां-बाप बुजुर्ग हैं, ये भी आए दिन परेशान हैं। इनका इलाज कराना भी मुश्किल हो रहा है।
केस 4- परिवार के पालन-पोषण में आ रही दिक्कत
त्रिवेणी सहाय सकरन विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय शिवपुरी में तैनात है। त्रिवेणी का कहना है कि पूरे घर परिवार की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है। पहले हर माह आसानी से वेतन मिलता था। जिससे परिवार का पालन पोषण करने में कोई दिक्कत नहीं आती थी। अब जब सात माह से सैलरी नहीं मिली है तो तमाम समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं।
कमलेश कुमार मिश्रिख विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय हुसेनपुर में शिक्षामित्र हैं। यह अपने बच्चों की फीस जमा नहीं कर पा रहे है। कमलेश का कहना है पिछले सात माह से सैलरी नहीं मिली है। इसकी वजह से विद्यालय की तरफ से दोनों बच्चों को नोटिस दिया गया है। समझ नहीं आ रहा है कि आखिर कहां से फीस जमा करूं।
केस 2- बेटी को है ब्लड कैंसर, कैसे कराएं इलाज
पिसावां के प्राथमिक विद्यालय सैतियापुर में सुंदर कुमार शिक्षामित्र है। सुंदर की लड़की को ब्लड कैंसर है। जब सैलरी मिलती थी तो उन्हें इलाज कराने में इतनी परेशानी नहीं आती थी। अब जब समायोजन रद्द हो गया है। इसके बाद अगस्त से एक रुपया भी नहीं मिला है इसके कारण वह अपनी बेटी का इलाज नहीं करा पा रहे हैं।
केस 3- खुद का नहीं करा पा रहे इलाज
पिसावां के प्राथमिक विद्यालय भजोड़वा में विकास बाजपेई शिक्षामित्र हैं। पहले इनका समायोजन हो गया था। जिससे जुलाई 2017 तक वेतन मिला। उसके बाद इनको विभाग से एक रुपया भी नहीं मिला है। इसकी वजह से यह अपना इलाज नहीं करा पा रहे। वहीं मां-बाप बुजुर्ग हैं, ये भी आए दिन परेशान हैं। इनका इलाज कराना भी मुश्किल हो रहा है।
केस 4- परिवार के पालन-पोषण में आ रही दिक्कत
त्रिवेणी सहाय सकरन विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय शिवपुरी में तैनात है। त्रिवेणी का कहना है कि पूरे घर परिवार की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है। पहले हर माह आसानी से वेतन मिलता था। जिससे परिवार का पालन पोषण करने में कोई दिक्कत नहीं आती थी। अब जब सात माह से सैलरी नहीं मिली है तो तमाम समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं।
2200 शिक्षामित्र
प्रभावित,
पाई-पाई को हैं मोहताज
सीतापुर। बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही से समायोजन रद्द हो जाने के बाद
शिक्षामित्र पाई-पाई को मोहताज हैं। कारण यह है कि उनको सात माह से मानदेय नहीं
मिला है। इसके कारण उनके सामने एक नहीं ढेरों समस्याएं पैदा हो गई हैं।
कई शिक्षामित्रों ने बीएसए से लेकर डीएम तक से शिकायत दर्ज कराई। फिर भी उन्हें मानदेय नहीं मिल सका। सिर्फ आश्वासन देकर उनको शांत कर दिया गया। इससे जिले के करीब 2200 शिक्षामित्र प्रभावित हैं।
मालूम हो कि सुप्रीमकोर्ट से शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द हो गया था। इससे जुलाई माह तक इनको प्रतिमाह सैलरी मिलती रही। उसके बाद अगस्त से इनको मानदेय दिया जाना है। इसको लेकर शासन ने भी कभी बार सख्ती दिखाते हुए तत्काल भुगतान करने के निर्देश दिए। इसके बावजूद शिक्षामित्रों को भुगतान नहीं हो सका। इसके कारण कोई अपने मां-बाप तो कोई खुद का इलाज नहीं करा पा रहा है तो किसी के बेटी को कैंसर है। वह भी भुगतान की आस में बैठा हुआ है।
हालात यह है शिक्षामित्र अपने बच्चे की फीस नहीं जमा कर पा रहे हैं। इससे कॉलेज द्वारा उनको बराबर नोटिस दिया जा रहा है। अब तो और भी परेशानी उत्पन्न होने वाली है। क्योंकि कुछ दिन बाद होली का त्यौहार है, जिसमें उनको पैसे की जरूरत होगी। लेकिन विभाग उनको मानदेय के बजाए केवल आश्वासन दे रहा है।
कई शिक्षामित्रों ने बीएसए से लेकर डीएम तक से शिकायत दर्ज कराई। फिर भी उन्हें मानदेय नहीं मिल सका। सिर्फ आश्वासन देकर उनको शांत कर दिया गया। इससे जिले के करीब 2200 शिक्षामित्र प्रभावित हैं।
मालूम हो कि सुप्रीमकोर्ट से शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द हो गया था। इससे जुलाई माह तक इनको प्रतिमाह सैलरी मिलती रही। उसके बाद अगस्त से इनको मानदेय दिया जाना है। इसको लेकर शासन ने भी कभी बार सख्ती दिखाते हुए तत्काल भुगतान करने के निर्देश दिए। इसके बावजूद शिक्षामित्रों को भुगतान नहीं हो सका। इसके कारण कोई अपने मां-बाप तो कोई खुद का इलाज नहीं करा पा रहा है तो किसी के बेटी को कैंसर है। वह भी भुगतान की आस में बैठा हुआ है।
हालात यह है शिक्षामित्र अपने बच्चे की फीस नहीं जमा कर पा रहे हैं। इससे कॉलेज द्वारा उनको बराबर नोटिस दिया जा रहा है। अब तो और भी परेशानी उत्पन्न होने वाली है। क्योंकि कुछ दिन बाद होली का त्यौहार है, जिसमें उनको पैसे की जरूरत होगी। लेकिन विभाग उनको मानदेय के बजाए केवल आश्वासन दे रहा है।
50 से 100 किमी. का तय करते सफर
शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द हो चुका है। लेकिन मूल विद्यालय वापस नहीं
हुए हैं। इससे वह पहले तैनाती वाले स्कूलों में ही पढ़ा रहा हैं। समायोजन में उनको
50 से 100 किमी. दूर
के विद्यालय मिले थे। जब वेतन मिलता था तो उनको कोई परेशानी नहीं आती थी। अब तो उनको
10 हजार रुपये
मानदेय मिलेगा। ऐसे में वह काफी दूर चलने के बाद स्कूल में रेग्यूलर पढ़ाने के बाद
भी मानदेय के लाले पड़े हैं।
बीईओ से मंगवाए गए बिल
बीएसए अजय कुमार का कहना है कि ब्लॉकवार बीईओ से शिक्षामित्रों के बिल मंगाए जा रहे हैं। एक सप्ताह के अंदर सभी शिक्षामित्रों का भुगतान कर दिया जाएगा।
बीईओ से मंगवाए गए बिल
बीएसए अजय कुमार का कहना है कि ब्लॉकवार बीईओ से शिक्षामित्रों के बिल मंगाए जा रहे हैं। एक सप्ताह के अंदर सभी शिक्षामित्रों का भुगतान कर दिया जाएगा।
आर्थिक तंगी से परेशान शिक्षामित्र ने फांसी लगाकर दी जान
अवागढ़ (एटा)। आर्थिक तंगी से परेशान शिक्षामित्र मनमोहन सिंह ने घर के
अंदर फांसी लगाकर जान दे दी। जानकारी पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए
भेजा। वही घटना के बाद शिक्षामित्र संघ में आक्रोश है। थाना नया गांव क्षेत्र के
सराय अगहत निवासी मनमोहन सिंह (35) पुत्र पूरन सिंह शिक्षामित्र था। वर्तमान में वह
अवागढ़ क्षेत्र के ओनेरा प्राथमिक विद्यालय पर तैनात था। घर से विद्यालय दूर होने
के कारण शिक्षामित्र मनमोहन कस्बा अवागढ़ में किराये पर रहता था।
सोमवार देर शाम मनमोहन ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर रस्सी से फांसी का फंदा बनाकर जान दे दी। घटना की जानकारी पर आसपास के लोगों ने पुलिस और परिवारीजनों को दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को फंदे से नीचे उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
शिक्षामित्र ने सुसाइड नोट में आर्थिक तंगी से परेशान होने की बात कही है। नोट में उसने परिवारीजनों से एरियर और मानदेय मिलने पर कर्जदारों को उधारी चुकाने के लिए भी लिखा है। जिला अस्पताल में मौजूद परिवारीजनों और शिक्षामित्रों ने बताया कि मृतक को करीब पांच माह से एरियर और मानदेय नहीं मिला था। इससे वह परेशान था। उसने संबंधित अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी थी। घटना से शिक्षामित्र संघ के लोगों में आक्रोश है।
सोमवार देर शाम मनमोहन ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर रस्सी से फांसी का फंदा बनाकर जान दे दी। घटना की जानकारी पर आसपास के लोगों ने पुलिस और परिवारीजनों को दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को फंदे से नीचे उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
शिक्षामित्र ने सुसाइड नोट में आर्थिक तंगी से परेशान होने की बात कही है। नोट में उसने परिवारीजनों से एरियर और मानदेय मिलने पर कर्जदारों को उधारी चुकाने के लिए भी लिखा है। जिला अस्पताल में मौजूद परिवारीजनों और शिक्षामित्रों ने बताया कि मृतक को करीब पांच माह से एरियर और मानदेय नहीं मिला था। इससे वह परेशान था। उसने संबंधित अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी थी। घटना से शिक्षामित्र संघ के लोगों में आक्रोश है।