Sir Ganga Ram,
22 अप्रैल 1851 - 10 जुलाई 1927
सर गंगा राम प्रसिद्ध इंजीनियर, समाजसेवी और भारत में हरित क्रांति के नायक थे। उन्होंने 'सर गंगा राम ट्रस्ट सोसाइटी'
बनाई, जिसके अंतर्गत विधवा आश्रम, अपाहिज आश्रम, चिकित्सालय आदि संस्थाओं की स्थापना
की गई।
प्रसिद्ध इंजीनियर और भारत में हरित क्रांति के प्रणेता सर गंगा राम
का जन्म 22 अप्रैल, 1851 ई. को पश्चिमी पंजाब (पाकिस्तान) के
शेखपुरा जिले के एक गांव में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर और लाहौर में हुई और इंजीनियरिंग की शिक्षा उन्होंने
रुड़की कॉलेज से प्राप्त की। कुछ समय तक लाहौर, दिल्ली और नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे में नौकरी करने के
बाद गंगा राम वाटर वर्क्स निर्माण का प्रशिक्षण लेने के लिए इंग्लैंड गए। भारत लौटने पर गंगा राम ने 12 वर्ष तक लाहौर में
काम किया। वहां के प्रसिद्ध भवन, जलाशय आदि उन्हीं के
नेतृत्व में बने। 1930 में सरकारी नौकरी से अवकाश ग्रहण करते ही
उन्हें पटियाला रियासत ने बुला लिया।
सर गंगा राम ने प्रसिद्ध भवन, जलाशय, इंजीनियरिंग के अनेक नए
उपकरणों के निर्माण आदि में बहुत ही योगदान दिया है। उनकी सेवाओं के उपलक्ष में
ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 'सर' की उपाधि
से सम्मानित किया था। 1930 में सरकारी नौकरी से अवकाश ग्रहण करते ही
पटियाला रियासत ने उन्हें बुला लिया। उनके प्रयासों से कुछ ही दिनों में पटियाला
नगर की तस्वीर ही बदल गई थी।
परंतु सर गंगा राम को इतने से संतोष नहीं हुआ। 60 वर्ष की उम्र में वे कृषि केंद्रों को देखने के लिए पुन: इंग्लैंड गये। लौटने पर उन्होंने 1911 के दिल्ली दरबार के समय भारतीय नरेशों को शिविर निर्माण में परामर्श दिया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वे अवैतनिक मुख्य इंजीनियर थे। अब
उन्होंने अपने कृषि संबंधी ज्ञान का प्रयोग करने का निश्चय किया। पंजाब की बहुत सी भूमि नदियों से ऊंची होने के
कारण सिचाई से वंचित और बंजर पड़ी थी। सर गंगा राम ने सबसे पहले पानी को ऊपर उठाकर
सिंचाई का प्रबंध किया। इस तकनीक से खेत लहलहा उठे। नहर का पानी ऊपर से गिरा कर जल
विद्युत उत्पन्न करने का शुभारंभ करने का श्रेय गंगा राम को ही जाता है।
सर गंगा राम के अंदर जन सेवा की भावना बहुत थी।
उन्होंने परिश्रम और योग्यता से बहुत धन अर्जित किया था। वे स्वयं गरीब घर में
पैदा हुए थे और गरीबी के कष्ट को समझते थे। उस समय समाज में अनेक कुरीतियां
प्रचलित थीं। छोटी उम्र में बच्चों का विवाह हो जाता था और विधवाओं की बड़ी दुर्दशा थी।
एक सर्वेक्षण के अनुसार देश में 1921 ई. में 1 वर्ष से कम
उम्र की लगभग 7500 विधवाएं थीं। इस स्थिति से दु:खी होकर
उन्होंने 50 लाख रुपए से 'सर गंगा राम
ट्रस्ट सोसाइटी' बनाई जिसके अंतर्गत विधवा आश्रम, अपाहिज आश्रम, चिकित्सालय आदि संस्थाएं स्थापित की
गईं। उन्होंने लड़कियों के लिये हाईस्कूल और ट्रेनिंग कॉलेज खुलवाये और लाहौर में मेडिकल कॉलेज स्थापित कराया। उन्होंने
बहुत से गुरुद्वारों के निर्माण में भी धन दिया।
प्रसिद्ध इंजीनियर, समाज सेवी और भारत में हरित क्रांति के प्रणेता सर गंगा राम का 10 जुलाई, 1927 ई. को लंदन में निधन हो गया।
सर गंगा राम की स्मृति में 'सर गंगा राम ट्रस्ट' ने दिल्ली में 'सर गंगा राम
अस्पताल' की स्थापना की है जो इस प्रतिभाशाली और समाजसेवी
व्यक्ति का स्मरण कराता है। उनके निधन पर गांधी जी ने गंगा राम को ठीक ही भारत का प्रतिष्ठित सपूत बताया था। देश के
विभाजन के बाद सर गंगा राम की सब संपत्ति पाकिस्तान में ही रह गई थी।