Wednesday, April 1, 2020

2 अप्रॅल : विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस

World Autism Awareness Day



विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस दुनियाभर में प्रत्येक वर्ष 2 अप्रॅल को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2007 में 2 अप्रैल के दिन को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस घोषित किया था। इस दिन उन बच्‍चों और बड़ों के जीवन में सुधार के कदम उठाए जाते हैं, जो ऑटिज़्म ग्रस्‍त होते हैं और उन्‍हें सार्थक जीवन बिताने में सहायता दी जाती है। नीला रंग ऑटिज़्म का प्रतीक माना गया है। वर्ष 2013 में इस अवसर पर ऑटिज़्मग्रस्‍त एक व्‍यक्ति कृष्‍ण नारायणन द्वारा लिखित एक पुस्‍तक और 'अलग ही आशा' शीर्षक एक गीत जारी की गई। भारत के सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अनुसार प्रति 110 में से एक बच्‍चा ऑटिज़्मग्रस्‍त होता है और हर 70 बालकों में से एक बालक इस बीमारी से प्रभावित होता है। इस बीमारी की चपेट में आने के बालिकाओं के मुकाबले बालकों की ज्‍यादा संभावना है। इस बीमारी को पहचानने का कोई निश्चित तरीका ज्ञात नहीं है, लेकिन जल्‍दी निदान हो जाने की स्थिति में सुधार लाने के लिए कुछ किया जा सकता है। दुनियाभर में यह बीमारी पाई जाती है और इसका असर बच्‍चों, परिवारों, समुदाय और समाज पर पड़ता है.
ऑटिज़्म (Autism) या आत्मविमोह / स्वलीनता, एक मानसिक रोग या मस्तिष्क के विकास के दौरान होने वाला विकार है जो विकास संबंधी एक गंभीर विकार है, जिसके लक्षण जन्म से या बाल्यावस्था (प्रथम तीन वर्षों में) में ही नज़र आने लगते है और व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है। जिन बच्चों में यह रोग होता है उनका विकास अन्य बच्चों से असामान्य होता है, साथ ही इसकी वजह से उनके न्यूरोसिस्टम पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे प्रभावित व्यक्ति, सीमित और दोहराव युक्त व्यवहार करता है जैसे एक ही काम को बार-बार दोहराना। यह जीवनपर्यंत बना रहने वाला विकार है। ऑटिज़्मग्रस्त व्यक्ति संवेदनों के प्रति असामान्य व्यवहार दर्शाते हैं, क्योंकि उनके एक या अधिक संवेदन प्रभावित होते हैं। इन सब समस्याओं का प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार में दिखाई देता है, जैसे व्यक्तियों, वस्तुओं और घटनाओं से असामान्य तरीके से जुड़ना। ऑटिज़्म का विस्तृत दायरा है।

ऑटिज़्म के लक्षण

  • ऑटिज़्म के दौरान व्यक्ति को कई समस्याएं हो सकती हैं, यहां तक कि व्यक्ति मानसिक रूप से विकलांग हो सकता है।
  • ऑटिज़्म के रोगी को मिर्गी के दौरे भी पड़ सकते हैं।
  • कई बार ऑटिज़्म से ग्रसित व्यक्ति को बोलने और सुनने में समस्याएं आती हैं।
  • ऑटिज़्म जब गंभीर रूप से होता है तो इसे ऑटिस्टिक डिस्‍ऑर्डर के नाम से जाना जाता है लेकिन जब ऑटिज़्म के लक्षण कम प्रभावी होते हैं तो इसे ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिस्‍ऑर्डर (ASD) के नाम से जाना जाता है। एएसडी के भीतर एस्पर्जर सिंड्रोम शामिल है।

ऑटिज़्म का प्रभाव


  • ऑटिज़्म पूरी दुनिया में फैला हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 तक विश्व में तकरीबन 7 करोड़ लोग ऑटिज्म से प्रभावित थे।
  • इतना ही नहीं दुनियाभर में ऑटिज़्म प्रभावित रोगियों की संख्या मधुमेह, कैंसर और एड्स के रोगियों की संख्या मिलाकर भी इससे अधिक है।
  • ऑटिज़्म प्रभावित रोगियों में डाउन सिंड्रोम की संख्या अपेक्षा से भी अधिक है।
  • ऑटिज़्म पीडि़तों की संख्या का इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि दुनियाभर में प्रति दस हज़ार में से 20 व्यक्ति इस रोग से प्रभावित होते हैं।
  • कई शोधों में यह भी बात सामने आई है कि ऑटिज़्म महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में अधिक देखने को मिला है। यानी 100 में से 80 फीसदी पुरुष इस बीमारी से प्रभावित हैं।

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