लोकनायक जयप्रकाश नारायण
11 अक्टूबर, 1902 - 8 अक्टूबर, 1979
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे।
उन्हें 1970 में इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का
नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है। इन्दिरा गांधी को पदच्युत करने के लिये उन्होने
'सम्पूर्ण क्रांति' नामक आन्दोलन चलाया। वे
समाज-सेवक थे, जिन्हें
'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता
है। 1998 में उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मनित किया गया।
इसके अतिरिक्त उन्हें समाजसेवा के लिए 1965 में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था। पटना के हवाई अड्डे का नाम
उनके नाम पर रखा गया है। दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल 'लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल' भी उनके नाम पर है।
पटना में अपने विद्यार्थी
जीवन में जयप्रकाश नारायण ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया। जयप्रकाश नारायण
बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गये, जिसे युवा प्रतिभाशाली
युवाओं को प्रेरित करने के लिए डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद और सुप्रसिद्ध
गांधीवादी डॉ॰ अनुग्रह नारायण सिन्हा द्वारा स्थापित किया
गया था, जो गांधी जी के एक निकट सहयोगी रहे
और बाद में बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री
सह वित्त मंत्री रहे। वे 1922 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गये, जहाँ उन्होंने 1922-1929
के बीच कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-बरकली, विसकांसन विश्वविद्यालय में समाज-शास्त्र का अध्ययन किया। महँगी
पढ़ाई के खर्चों को वहन करने के लिए उन्होंने खेतों, कम्पनियों, रेस्त्रा में काम किया।
वे मार्क्स के समाजवाद से प्रभावित हुए।
उन्होंने एम॰ ए॰ की डिग्री हासिल की। उनकी माताजी की तबियत ठीक न होने के कारण वे
भारत वापस आ गये और पी॰ एच॰ डी॰ पूरी न कर सके।
उनका विवाह बिहार के प्रसिद्ध गांधीवादी बृज किशोर प्रसाद की
पुत्री प्रभावती के साथ अक्टूबर 1920
में हुआ। प्रभावती विवाह के उपरान्त कस्तूरबा गांधी के
साथ गांधी आश्रम में रहीं। वे डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद और सुप्रसिद्ध गांधीवादी डॉ॰
अनुग्रह नारायण सिन्हा द्वारा स्थापित बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गये। 1929 में जब वे अमेरिका से
लौटे, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तेज़ी पर था। उनका
सम्पर्क गांधी जी के साथ काम कर रहे जवाहर लाल नेहरु से
हुआ। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने। 1932 में गांधी,
नेहरु और अन्य महत्त्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओं के
जेल जाने के बाद,
उन्होंने भारत में अलग-अलग हिस्सों में संग्राम
का नेतृत्व किया। अन्ततः उन्हें भी मद्रास में सितम्बर 1932
में गिरफ्तार कर लिया गया और नासिक के जेल में भेज दिया गया। यहाँ उनकी मुलाकात मीनू मसानी, अच्युत पटवर्धन, एन॰ सी॰ गोरे, अशोक मेहता, एम॰ एच॰ दाँतवाला, चार्ल्स मास्कारेन्हास और सी॰ के॰ नारायण स्वामी जैसे उत्साही कांग्रेसी नेताओं से हुई। जेल में
इनके द्वारा की गयी चर्चाओं ने कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी (सी॰ एस॰ पी॰) को जन्म दिया। सी॰ एस॰ पी॰ समाजवाद
में विश्वास रखती थी। जब कांग्रेस ने 1934
में चुनाव में हिस्सा लेने का फैसला किया तो जे॰
पी॰ और सी॰ एस॰ पी॰ ने इसका विरोध किया।
1939
में उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के
दौरान, अंग्रेज सरकार के खिलाफ लोक आन्दोलन का नेतृत्व
किया। उन्होंने सरकार को किराया और राजस्व रोकने के अभियान चलाये। टाटा स्टील कम्पनी में हड़ताल कराके यह प्रयास किया कि अंग्रेज़ों
को इस्पात न पहुँचे। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 9 महीने की कैद की सज़ा सुनाई गयी। जेल से छूटने के
बाद उन्होंने गांधी और सुभाष चंद्र बोस के बीच सुलह का प्रयास किया। उन्हें बन्दी
बनाकर मुम्बई की आर्थर जेल और दिल्ली की कैम्प जेल में रखा गया। 1942 भारत छोडो आन्दोलन के दौरान वे आर्थर जेल से फरार
हो गये।
मुझे अपने लिए चिन्ता नहीं है, किन्तु देश के लिए मुझे चिन्ता है। — बिहार विभूति डॉ॰ अनुग्रह नारायण सिन्हा
उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हथियारों
के उपयोग को सही समझा। उन्होंने नेपाल जाकर आज़ाद दस्ते का
गठन किया और उसे प्रशिक्षण दिया। उन्हें एक बार फिर पंजाब में चलती ट्रेन में सितम्बर 1943 में गिरफ्तार कर लिया गया। 16 महीने बाद जनवरी 1945 में
उन्हें आगरा जेल में स्थान्तरित कर दिया गया। इसके उपरान्त गांधी जी ने यह साफ कर
दिया था कि डॉ॰ लोहिया और जे॰ पी॰ की रिहाई के बिना अंग्रेज सरकार से कोई समझौता
नामुमकिन है। दोनों को अप्रील 1946
को आजाद कर दिया गया।
1948 में उन्होंने कांग्रेस के समाजवादी दल का नेतृत्व किया और बाद में गांधीवादी
दल के साथ मिलकर समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना की। 19 अप्रील, 1954 में गया, बिहार में उन्होंने विनोबा भावे के सर्वोदय आन्दोलन के लिए जीवन समर्पित करने
की घोषणा की। 1957 में उन्होंने लोकनीति के पक्ष में
राजनीति छोड़ने का निर्णय लिया।
1960 के दशक के अंतिम भाग में वे राजनीति में
पुनः सक्रिय रहे। 1974 में किसानों के बिहार आन्दोलन में उन्होंने तत्कालीन
राज्य सरकार से इस्तीफे की मांग की।
वे इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे। गिरते
स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आन्दोलन किया।
उनके नेतृत्व में पीपुल्स फ्रंट ने गुजरात राज्य का चुनाव जीता। 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की जिसके अन्तर्गत जे॰ पी॰ सहित
600 से भी अधिक विरोधी नेताओं को बन्दी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी
गयी। जेल में जे॰ पी॰ की तबीयत और भी खराब हुई। 7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया। 1977 जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोध पक्ष ने
इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया।
जयप्रकाश नारायण का निधन उनके निवास स्थान पटना में 8 अक्टूबर 1979
को हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ। उनके सम्मान में तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने 7 दिन के राष्ट्रीय शोक
की घोषणा की थी, उनके सम्मान में कई
हजार लोग उनकी शोक यात्रा में शामिल हुए।