शिक्षा का क्षेत्र योगी आदित्यनाथ के सरोकारों में पहले से शामिल रहा है
और सीएम बनने के बाद से अब बजट में भी शिक्षा का अधिक ध्यान केंद्रित किया
शिक्षा
का क्षेत्र योगी आदित्यनाथ के सरोकारों में पहले से शामिल रहा है और मुख्यमंत्री
बनने के बाद उन्होंने प्रदेश में इसका हाल सुधारने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया।
इस बजट में भी उनकी यह कोशिश नजर आती है। प्रदेश के बजट का सर्वाधिक आवंटन शिक्षा
के क्षेत्र में है। बेसिक, माध्यमिक
और उच्च शिक्षा के साथ ही तकनीकी शिक्षा के लिए 68 हजार 263 करोड़ 20 लाख
रुपये का प्रावधान है। इसमें भी सबसे अधिक सर्व शिक्षा के लिए है। इसके लिए 18 हजार 167 करोड़
रुपये का प्रावधान रखा गया है।
योगी
सरकार ने सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, प्राथमिक
शिक्षा में बच्चों को यूनिफॉर्म और उन्हें किताबें व मिडडे मील उपलब्ध कराने पर
जोर दिया है। कक्षा एक से आठ तक के छात्रों की किताबों और यूनिफॉर्म के लिए 116 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसके साथ ही परिषदीय
स्कूलों में संसाधन उपलब्ध कराने की दिशा में सोचा गया है और बिजली, फर्नीचर और पानी के लिए 500 करोड़ का
बजट तय किया गया है। परिषदीय बच्चों को निश्शुल्क किताबें उपलब्ध कराने के लिए 76 करोड़, यूनिफॉर्म
के लिए 40 करोड़ रखा गया है। मिड डे मील के लिए दो हजार 48 करोड़ रुपये और फल वितरण के लिए 167 करोड़ रुपये दिए गए हैैं।
शिक्षा क्षेत्र में विकासोन्मुखी
बजट
राज्य
सरकार ने महापुरुषों के नाम से शुरू की गई योजनाओं को आगे बढ़ाया है। इसमें
माध्यमिक शिक्षा में दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल विद्यालय को 26 करोड़ रुपये तथा अहिल्याबाई निश्शुल्क शिक्षा योजना के लिए 21 करोड़ रखे गए हैैं। केंद्र की ओर से शुरू की गई योजनाओं के
लिए भी बड़ी राशि दी गई है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के लिए 167 करोड़ रुपये तथा माध्यमिक शिक्षा अभियान 480 करोड़ रुपये से शिक्षा के स्तर को सुधारा जाएगा। तकनीकी
शिक्षा पर भी सरकार का फोकस है और मैनपुरी, कन्नौज
और सोनभद्र के राजकीय इंजीनियङ्क्षरग कालेजों के लिए चार-चार करोड़ रुपये दिए गए
हैैं। उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि गरीब व किसानों को समर्पित
विकासोन्मुखी बजट है। शिक्षा के क्षेत्र में किए गए प्रावधानों से प्रदेश को आगे
बढऩे के लिए गति मिलेगी। यह दृढ़ इच्छाशक्ति का स्वप्न दृष्टि बजट है।