Monday, February 5, 2018

बच्‍चाें में बढ़ती हिंसा

पिछले दिनों देश भर में स्‍कूलों में बच्‍चों द्वारा हिंसा किए जाने की घटनाऍं सामने आई हैं। जाहिर है इससे यह सवाल और ज्‍वलंत रूप में सामने आया है कि आखिर ऐसा क्‍यों हो रहा है। इसके लिए जिम्‍मेदार कौन है। क्‍या यह हमारी शिक्षा व्‍यवस्‍था की कमी है ? क्‍या इसके लिए अभिभावक दोषी हैं ? क्‍या समाज की इसमें कोई भूमिका है ? बढ़ते डिजीटल मीडिया का हाथ है? या फिर तथाकथित रूप से विकसित होते समाज और उसकी व्‍यवस्‍थाओं का यह जरूरी हिस्‍सा है
बहरहाल यह एक ऐसा विषय है, जिस पर निरंतर चर्चा और विमर्श होना चाहिए। हिंसा केवल बच्‍चों में ही नहीं, वयस्‍कों में भी बढ़ रही है। जाहिर है आज के बच्‍चे ही कल के वयस्‍क नागरिक बनेंगे।
दिल्‍ली के लेखक मंच ने इस पर एक अनोखी पहल की। उन्‍होंने विभिन्‍न क्षेत्रों में काम कर रहे, विभिन्‍न लोगों के विचारों को इस वीडियो में एकत्रित किया है। आप इन्‍हें सुनें। कारण और भी बहुत सारे हो सकते हैं, होंगे ही। आप भी देखें कि कहीं आपके पास तो बच्‍चों के बीच ऐसी हिंसक प्रवृत्ति पनप नहीं रही है।

इस वीडियो में लेखक शेखर जोशी,नवनीत पाण्‍डे,प्रेमपाल शर्मा, अनवर सुहैल; शिक्षक-लेखक महेश पुनेठा; शिक्षा अधिकारी अाकाश सारस्‍वत; शिक्षक प्रशिक्षक निशु खण्‍डेलवाल,अंजू रावत; वकील उर्मिल नौटियल; पत्रकार विवेक त्‍यागी और विद्यार्थी महेन्‍द्र रावत ने अपनी बात रखी है।  



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