पाठक डायरी
Saturday, April 22, 2017
जिस रफ्तार से इंसान हड़प रहा है, जल्द ही दूसरी पृथ्वी की ज़रूरत होगी, जो कहीं नहीं मिलेगी---
जिस रफ्तार से इंसान हड़प रहा है
,
जल्द ही दूसरी पृथ्वी की ज़रूरत होगी
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जो कहीं नहीं मिलेगी---
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