गाजीपुर:
फर्जी मान्यता के गोरखधंधे में निलंबित जिला विद्यालय निरीक्षक हृदय राम आजाद को
एक बार तो क्लीनचिट तक मिल चुकी थी।
हालांकि
इसके पीछे कौन लोग शामिल है यह तो जांच का विषय है लेकिन कमिश्नर, डीएम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिस तरीके से रिपोर्ट
भेजी और एमएलसी विशाल ¨सह चंचल ने
सीएम योगी आदित्यनाथ के सामने इस पूरे मामले को रखा यह कार्रवाई उसके बिना संभव
नहीं थी।
जिलाधिकारी
ने शिकायत पर मिलने पर जांच कराई था तो मामला सही मिला। इसी पर उन्होंने इसकी
रिपोर्ट शासन को दी। उधर, एमएलसी ने
सीएम के समक्ष मामला रखा। वहां से जांच कर आख्या सौंपने को कहा गया। हैरत यह कि
मामले को निस्तारित बताकर लीपापोती करने की कोशिश की गई। इस मामले में कुछ और के
गर्दन पर भी तलवार लटक रही है।
वही हुआ जिसके लगाए जा रहे थे कयास
आखिर वही
हुआ जिसका पिछले कई दिनों से कयास लगाए जा रहे थे। शासन ने शुक्रवार की शाम जिला
विद्यालय निरीक्षक हृदय राम आजाद को निलंबित कर दिया। अभी तक उनकी जगह किसी की
तैनाती नहीं की गई है। डीआइओएस की दूसरी पारी भी विवादों से भरी रही। उन पर तमाम
आरोप लगे हैं। इस कार्रवाई पर विभाग से लेकर राजनीतिक हल्के में तरह-तरह की बातें
की जा रही हैं। हालांकि शासन ने मानक न पूरा करने वाले विद्यालयों को भी मान्यता
देने को इस कार्रवाई का आधार बनाया है।
पहले भी हो चुके हैं निलंबित
जिला
विद्यालय निरीक्षक हृदय राम आजाद के निलंबित होने का यह पहला मामला नहीं है। इससे
पहले भी वह वर्ष 2016 बोर्ड
परीक्षा केंद्र निर्धारण के समय धांधली के आरोप में निलंबित किए गए थे। हालांकि
फरवरी 2016 में हाइकोर्ट से इस पर स्टे आर्डर ले लिया और पुन: अपने पद पर
बहाल हो गए। उन्हें भले ही पुन: बहाली मिल गई लेकिन बोर्ड परीक्षा की जिम्मेदारी
उनसे ले ली गई थी। यह जिम्मेदारी राजकीय सिटी इंटर कालेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य
मनिराम ¨सह को सौंप दी गई थी। उनके प्रभार में ही बोर्ड परीक्षा 2016 में केंद्र निर्धारण से लेकर परीक्षा संपन्न करायी गई। इसके
बाद हृदय राम आजाद डीआइओएस के पूर्ण प्रभार में आ गए। यह उनकी दूसरी पारी थी और यह
पारी भी आरोप-प्रत्यारोप से भरी पड़ी है।
केंद्र निर्धारण में भी धांधली के लगे थे आरोप
केंद्र
निर्धारण से लेकर मान्यता देने तक में धांधली के तमाम आरोप लगे। जिलाधिकारी संजय
कुमार खत्री ने कई दर्जन माध्यमिक विद्यालयों की जांच कराई। इसमें से दर्जन भर ऐसे
विद्यालय मिले, जो वास्तव में मानक पूरा नहीं करते थे
लेकिन उनको मान्यता दे दी गई थी। इस पर जिलाधिकारी ने पिछले 20 मई को शासन को पत्र लिखकर डीआइओएस पर कार्रवाई की संस्तुति की
थी। इन खबरों को जागरण समय-समय पर प्रकाशित भी करता रहा। सत्ता बदलने के बाद उनके
हटाए जाने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हो सका।