पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है
कि पिता समृद्ध है और उसके पास आय के अन्य साधन हैं, तब भी वह बेटे पर आश्रित की श्रेणी में आता
है। आश्रित की परिभाषा केवल आर्थिक आधार पर ही नहीं तय होती। इसके लिए पिता की
शारीरिक स्थिति भी देखी जानी चाहिए। किसी भी व्यक्ति को उम्रदराज होने के कारण आए
परिवर्तन ही उसे दूसरों पर आश्रित बनाते हैं।
हाईकोर्ट
ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है, 'जैसे-जैसे
व्यक्ति की आयु बढ़ती है वह शारीरिक तौर पर दूसरों पर निर्भर होने लगता है। एक
पिता अपने बच्चे से अधिक और किस पर निर्भर हो सकता है। इसलिए उसे शारीरिक स्थिति
के अनुसार बेटे पर आश्रित माना जा सकता है।' इस टिप्पणी
के साथ ही हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया कि वह याचियों के पिता के इलाज
पर खर्च की गई राशि का भुगतान करे।
हाईकोर्ट
का यह फैसला मनोज कुमार व उनके भाई की तरफ से हरियाणा सरकार के खिलाफ दायर याचिका
पर आया है। दोनों जेल कर्मचारी हैं। उन्होंने पिता के इलाज पर खर्च राशि के भुगतान
के लिए सरकार के पास आवेदन किया था। हरियाणा सरकार ने उनके बिल का भुगतान नहीं
किया। इसके लिए सरकार का तर्क था कि दोनों के पिता के पास भूमि है और वे किसान
हैं। वह न्यूनतम 3500 रुपये से
अधिक कमाते हैं।
दोनों
सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट चले गए। याचियों ने कोर्ट को बताया कि उनके
पिता गंभीर बीमारी से पीड़ित थे। उनके इलाज पर एक बार 7,05,936 रुपये तथा दूसरी बार 1,77,718 रुपये खर्च
आया। याचियों ने कहा कि उनके पिता के इलाज पर खर्च हुई रकम हरियाणा सरकार को
भुगतान करनी चाहिए। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली।