बाराबंकी :
बच्चों के साथ अब शिक्षकों को भी हर महीने परीक्षा देनी होगी। उच्च अधिकारी यह
परीक्षा लेंगे। परीक्षा में फेल होने पर शिक्षक के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी। ऐसे
में शिक्षकों को स्कूल में बच्चों को पढ़ाने से पहले घर से उस किताब और पाठ को
पढ़कर आना होगा। कक्षा एक से आठवीं तक के शिक्षकों पर यह व्यवस्था लागू होगी।
बच्चे
क्लास में मनोरंजक तरीके से पढ़ सकें, इसके लिए
अध्यापकों को घर से ही पढ़कर आना होगा।
यानी अब
मास्टर साहब को फिर से कक्षा एक से पढ़ना होगा। अधिकारी मानते हैं कि शिक्षकों ने
अपना ज्ञान पीछे छोड़ दिया है। अधिकांश शिक्षकों को किताबों में सवाल और अंग्रेजी
का ज्ञान नहीं है। भले ही शिक्षकों को घर में को¨चग ही
क्यों न करनी पड़े लेकिन पढ़ाई के दौरान उन्हें उस पाठ के बारे में पूरी जानकारी
होनी चाहिए। इसको परखने के लिए बकायदा जिलास्तरीय टीम भी होगी। इस बार योजना के
क्रियान्वयन के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सख्ती होगी। मुख्य विकास अधिकारी
की पहल पर कार्ययोजना तैयार हो रही है।
1 जुलाई से
लागू होगी व्यवस्था
सीडीओ की
कार्ययोजना में अब हर माह बच्चों संग शिक्षकों की भी परीक्षा होगी। सीडीओ का कहना
है कि टीम गुणवत्ता तो परखेगी ही, वे स्वयं
भी हर माह स्कूलों में जाकर शिक्षकों की परीक्षा लेंगे। बच्चे यदि उस परीक्षा में
खरे नहीं उतरते हैं और शिक्षक फेल होते हैं तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह
व्यवस्था 1 जुलाई से शुरू कर दी जाएगी।
अध्यापक
खुद बनाएंगे अपनी समय-सारिणी
अब परिषदीय
विद्यालयों के शिक्षकों को खुद अपनी समय सारिणी तय करके देनी होगी। उस सारिणी में
बताना होगा कि किस दिन कौन सा विषय वे पढ़ाएंगे और कितने घंटे पढ़ाने में समय
देंगे। विषयों को पढ़ाने से संबंधित सारिणी को विद्यालय की दीवारों में लिखवाना
होगा, जिससे निरीक्षण में तय हो सके कि किस अध्यापक का घंटा चल रहा
है और कौन सा विषय पढ़ाना होगा। बच्चों को भी पता चले कि उन्हें किस घंटे में कौन
अध्यापक पढ़ाएंगे।
वित्तविहीन
स्कूलों के अध्यापकों की तरह सरकारी शिक्षक भी मेहनत करेंगे। शिक्षकों में सुधार
के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। बच्चों संग शिक्षकों की भी परीक्षा होगी।
अब उन्हें भी किताब को घर से पढ़कर आना होगा।''
-अंजनी
कुमार ¨सह, मुख्य
विकास अधिकारी, बाराबंकी