गाजीपुर। राजकीय हाईस्कूल एवं इंटर कॉलेजों
में अध्ययन करने वाले कमजोर बच्चों को उपचारात्मक शिक्षा देकर उनकी कमियों को दूर
किया जाएगा। गणित, विज्ञान एवं अंग्रेजी विषयों में कमजोर
बच्चों को ही उपचारात्मक शिक्षण दिया जाएगा। कक्षा नौ में अध्ययन करने वाले बच्चों
को इन विषयों में दक्ष बनाने की यह कवायद 15 जुलाई से 45 दिनों तक विद्यालयों में अभियान के रूप में
संचालित की जाएगी।
अभी तक यह कार्यक्रम सर्व शिक्षा अभियान के
अंतर्गत बेसिक स्तर पर ही संचालित किया जाता रहा है लेकिन अब राष्ट्रीय माध्यमिक
शिक्षा अभियान (रमसा) के तहत कक्षा नौ में प्रवेश करने वाले कमजोर बच्चों को यह
उपचारात्मक शिक्षा देने की कार्ययोजना भारत सरकार की तरफ से तैयार की गई है। यह
कार्यक्रम विद्यालयों में 15 जुलाई से लेकर 30 अक्तूबर के बीच 45 कार्यदिवसों में संचालित होगा। इस संबंध में
राज्य परियोजना के निदेशक संजय अग्रवाल का पत्र सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को
भेजा जा चुका है। इस पत्र के निर्देशों के मुताबिक कार्यक्रम को क्रियान्वित करने
की तैयारी जिला स्तर पर शुरू कर दी गई है। निर्देश में इस बात का उल्लेख है कि
कक्षा नौ में नामांकित 20 प्रतिशत छात्र-छात्राओं को जिनकी दक्षता गणित, विज्ञान एवं अंग्रेजी विषय में कम है, उन्हें चिह्नित कर उपचारात्मक शिक्षा दी जाएगी। अगर संबंधित विद्यालय में
विज्ञान, गणित एवं अंग्रेजी के अध्यापक उपलब्ध नहीं
हैं तो ऐसी स्थिति में पास के उच्च प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों या सेवानिवृत्त
शिक्षकों का सहयोग लिया जाएगा। उपचारात्मक शिक्षण के लिए प्रति शिक्षक दो हजार
रुपये मानदेय दिया जाएगा। प्रदेश स्तर पर मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण आयोजित
किया जाएगा। यह प्रशिक्षण लेने के लिए प्रत्येक जिले से गणित, विज्ञान एवं अंग्रेजी विषय के एक-एक शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा।
प्रदेश स्तर पर यह प्रशिक्षण तीन चरणों में आयोजित होगा। इसमें अंतिम चरण में
गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली, जौनपुर एवं सोनभद्र के शिक्षक प्रशिक्षण
प्राप्त करेंगे। इनका प्रशिक्षण 12 जुलाई को होगा। प्रदेश स्तर पर कुल 28379 छात्र-छात्राओं को उपचारात्मक शिक्षण के लिए
चिह्नित किया गया है। रमसा कार्यालय के माध्यम से जिले में कक्षा नौ में अध्ययनरत 20 प्रतिशत कमजोर छात्र-छात्राओं को चिह्नित किया जा चुका है। 15 जुलाई से प्रशिक्षण को संचालित करने की तैयारी की जा रही है।