Tuesday, June 27, 2017

वेबसाइट खोलेगी डिग्री शिक्षकों के फर्जीवाड़े की पोल

, फर्रुखाबाद : विश्वविद्यालय से संबद्धता की पत्रावली में नेट और पीएचडी योग्यताधारी शिक्षकों का अनुमोदन, जबकि वास्तविकता में इनके स्थान पर अयोग्य शिक्षक छात्रों का भविष्य गढ़ने में लगे हैं। स्ववित्तपोषी महाविद्यालयों में चल रहे इस फर्जीवाड़े की पोल अब जिले की वेबसाइट खोलेगी। सभी डिग्री शिक्षकों का फोटोयुक्त विवरण अपलोड किया जाएगा। इस विवरण को आधार नंबर से ¨लक करते ही दो विश्वविद्यालय से अनुमोदन कराने वाले शिक्षक भी पकड़ में आएंगे।
कई स्ववित्तपोषी महाविद्यालय शिक्षकों के फर्जीवाड़े की दम पर चल रहे हैं। विश्वविद्यालय से संबद्धता के लिए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण व पीएचडी धारक अभ्यर्थियों का विश्वविद्यालय से अनुमोदन करा लिया गया है। इनमें से कई शिक्षक दूसरे विश्वविद्यालयों से संबद्ध कालेजों में भी नियुक्त हैं। अनुमोदन के लिए कागज लगाने की एवज में इन शिक्षकों को 40 से 80 हजार वार्षिक का पैकेज दिया जाता है। यह अनुमोदित शिक्षक कभी पढ़ाने नहीं आते। इनके स्थान पर एमए, एमएससी पास गैर अनुमोदित अभ्यर्थी छात्रों को पढ़ाते हैं। छात्रों को भरोसा दिया जाता है कि उन्हें पूरी निष्ठा से पढ़ने की जरूरत भी नहीं है, क्योंकि विश्वविद्यालय परीक्षा में नकल करा दी जाएगी।
मूल प्रमाणपत्रों की जांच व भौतिक सत्यापन भी
योगी सरकार के पदारूढ़ होते ही डिग्री कालेजों में इस फर्जीवाड़े को रोकने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कानपुर डा. अनिल कुमार मिश्र ने छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुल सचिव से इस संबंध में तत्काल कार्रवाई को कहा है। उच्च शिक्षा अधिकारी ने बताया कि स्ववित्तपोषी महाविद्यालयों के शिक्षक व प्राचार्यों के मूल प्रमाणपत्रों की जांच कराकर उनका भौतिक सत्यापन कराया जाए। सत्यापन के बाद शिक्षकों का फोटो सहित विवरण जनपद की वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाए। शिक्षकों का विवरण उनके आधार नंबरों से भी लिंक किया जाए।
शिक्षकों ने ही उठाया मामला

डिग्री शिक्षकों का विवरण वेबसाइट पर सार्वजनिक करने व उसे आधार कार्ड से ¨लक करने की पहल शिक्षकों ने ही की। उच्च शिक्षा उत्थान समिति स्ववित्तपोषित महाविद्यालय शिक्षक संघ रघुनाथपुर लखनऊ ने उच्च शिक्षा निदेशक के सामने मामला उठाते हुए कहा कि कई डिग्री कालेज प्रबंधक अनुमोदित शिक्षकों से पढ़वाने व नियमित वेतन देने के बजाय अयोग्य शिक्षकों से शिक्षण कार्य करा रहे।

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